बुक रिव्यूः मोदी की भाषण शैली के राज खोलती है श्स्पीकिंग द मोदी वेश्

asiakhabar.com | June 12, 2017 | 1:04 pm IST

पुस्तक: श्स्पीकिंगः द मोदी वेश् लेखक: वीरेंद्र कपूर प्रकाशक: रूपा पब्लिकेशन, नई दिल्ली मूल्य: 195 रुपए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषण शैली से हर कोई वाकिफ है। भाषण के अपने अंदाज से श्रोताओं के दिल में कैसे उतरा जाता है, पीएम मोदी की भाषण शैली इसका जीता-जागता उदाहरण है। आखिर क्या वे बातें हैं जो उन्हें एक प्रभावशाली वक्ता के तौर पर स्थापित करती हैं? उनकी संचार शैली में ऐसी क्या बातें जो उन्हें बाकी राजनेताओं से अलग करती हैं? लेखक और प्रेरक वक्ता वीरेंद्र कपूर की किताब श्स्पीकिंगः द मोदी वेश् पीएम नरेंद्र मोदी की भाषण शैली का वैज्ञानिक अध्ययन करती है। किताब विस्तार से बताती है कि कैसे मोदी से श्स्पीकिंगश् का शानदार अंदाज कैसा सीखा जा सकता है। आईआईटी बॉम्बे के अलुमनी वीरेंद्र कपूर की यह किताब प्रतिष्ठित श्रूपा पब्लिकेशनश् से प्रकाशित हुई है। जिसमें वे बताते हैं कि बेहतर कौशल और वाक शैली के बूते किसी भी पेशे में बढ़त बनाई जा सकती है। दस अध्यायों में बंटी यह किताब कॉर्पोरेट संस्थानों, छात्रों या संचार के पेशे से जुड़े लोगों के लिए बेहद अहम साबित हो सकती है। किताब कहती है कि एक चाय वाले से पीएम बनने तक के सफर में कैसे पीएम मोदी का वाक कौशल निखरता गया। राष्ट्रीय राजनीति में नरेंद्र मोदी अपनी सेवा भाव, साधारण जीवन शैली, शानदार प्रबंधन और शब्दों के प्रभावी चयन के बूते सबसे अगली कतार में आ खड़े हुए। किताब में मोदी के आम चुनाव से पहले दिए गए भाषणों का विश्लेषण किया गया है। इस विश्लेषण के आधार पर लेखक का मानना है कि जिस तरह से नरेंद्र मोदी ने देश की विविध जनता के ध्यान में रखते हुए अपने भाषण और संवाद क्षमता का इस्तेमाल किया, वह उनकी जीत का बड़ा आधार भी है। श्सबका साथ-सबका विकासश् उनका नारा इसी तर्ज पर था, जो हिट हुआ। लेखक का कहना है कि नरेंद्र मोदी ने श्डिफरेंट ऑडियंस-डिफरेंट स्ट्रोकश् नीति का इस्तेमाल किया। मोदी ने श्रोताओं के हिसाब से अपने भाषणों में बदलाव किया, जोकि उनकी शैली की सबसे बड़ी खासियत भी बनी। अपने चुनावी अभियान में मोदी ने युवाओं और वृद्ध दोनों आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित किया। दरअसल, मोदी बोलते वक्त ही लोगों की कल्पना को समझ लेते थे और फिर उस हिसाब से अपनी बात रखते थे। लेखक का कहना है कि मोदी ने रटे-रटाए भाषणों के बजाय लय में बात रखी, जिसने अपेक्षाकृत अधिक लोगों के दिलों को छुआ। लेखक का मानना है कि अपनी बॉडी लैंग्वेज में मोदी हाथों और उंगलियों का शानदार इस्तेमाल करते हैं। अपने शब्दों के हिसाब से वह चेहरे पर भाव लाते हैं और भुजाओं का इस्तेमाल करते हैं। तर्कों को जब आंकड़ों और शानदार बॉडी लैंग्वेज का साथ मिलता हो तो भाषण अधिकतम प्रभाव छोड़ता है। मोदी अपने विजन को लोगों तक पहुंचाने के लिए आंकड़ों का खूब इस्तेमाल करते हैं। स्वच्छता की आवश्यकता पर बात करते हुए मोदी ने कहा था, श्सेनिटेशन व्यवस्था अच्छी हो इसलिए लिए देश मे करीब 4.25 लाख टॉयलेट चाहिए।श् जरूरतों और उपलब्धता के आंकड़े अपने भाषणों में इस्तेमाल कर मोदी ने मुश्किल समस्याओं को आसानी से लोगों के सामने रखा। लेखक का मानना है कि कुशल वक्ता को चाहिए कि आंकड़े उसे उंगलियों पर याद हों। महान वक्ता इतिहास के किस्सों से अपने भाषणों को जीवंत बनाते हैं। अपनी बात को प्रभावी तरीके से रखने के लिए वे मुस्कुराहट, नारों और लयात्मक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। कई बार अच्छे वक्ता एक कहानी के माध्यम से ही अपनी बात और इरादे साफ कर देते हैं। लेखक का मानना है कि नरेंद्र मोदी इस कला में निपुण हैं। उनके वन लाइनर्स भाषण को यादगार बना जाते हैं। किताब मोदी के प्रारंभिक और राजनीतिक जीवन की अहम घटनाओं को भी सहेजे हुए हैं। इसमें उनके बचपन के रोचक किस्से, छात्र जीवन से उनके राजनीतिक जीवन में प्रवेश तक के सफर पर भी रोशनी डाली गई है।


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