आर्कटिक में ‘आक्रमक’ रूख के लिए अमेरिकी ने चीन, रूस को आड़े हाथ लिया

asiakhabar.com | May 7, 2019 | 5:36 pm IST
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रोवानेमी (फिनलैंड)। अमेरिका ने सोमवार को कहा कि वह आर्कटिक में रूस और चीन
के ‘आक्रमक रूख’ पर लगाम कसने के लिए संसाधन से समृद्ध क्षेत्र में अपनी मौजूदगी मजबूत करने
की योजना बना रहा है। उत्तरी फिनलैंड के रोवानेमी में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपिओ ने चेताया
कि अपने तेल, गैस, खनिज पदार्थ और मछलियों के जखीरे के चलते ‘क्षेत्र वैश्विक शक्ति और होड़’ का
केंद्र बन गया है। उन्होंने कहा कि आर्कटिक एक बीहड़ क्षेत्र है और इसका मतलब यह नहीं है कि इसे
ऐसा स्थान बना दिया जाए जहां कोई कानून-कायदा न हो। आर्कटिक परिषद के आठ सदस्यों की बैठक
की पूर्व संध्या पर पोंपिओ ने चीन और रूस को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि अन्यत्र हिस्सों में
चीन की आक्रमकता की जो मिसाल है वो हमें बताएगी कि वह आर्कटिक में कैसा व्यवहार करेगा।

पोंपिओ ने पूछा, ‘‘क्या हम चाहते हैं कि आर्कटिक सागर नया दक्षिण चीन सागर बन जाए जहां का
सैन्यीकरण हो और क्षेत्रीय दावों की होड़ हो?’’ अमेरिका और रूस आर्कटिक परिषद के सदस्य हैं जबकि
चीन के पास केवल पर्यवेक्षक का दर्जा है। पोंपिओ के मुताबिक, चीन ने क्षेत्र में 2012-2017 के बीच 90
अरब डॉलर का निवेश किया है और उसकी मंशाा उत्तरी समुद्री मार्ग का पूरा लाभ लेने की है। अपने
भाषण में पोंपिओ ने रूस की ‘भकड़ाने वाली कार्रवाई’ की निंदा की और मॉस्को पर क्षेत्र का फिर से
सैन्यीकरण करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शासन में मॉस्को ने
क्षेत्र में अपनी मौजूदगी मजबूत की है और यूएसएसआर के विघटन के बाद छोड़ दिए गए कई अड्डों की
दोबारा शुरूआत की है।


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