ये रिकॉर्ड रघुनंदन के नाम, अमृतसर से छह बार जीत चुके हैं चुनाव

asiakhabar.com | April 2, 2019 | 5:57 pm IST
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अमृतसर। पंजाब की ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगरी अमृतसर की लोकसभा सीट पर कांग्रेस का लंबे समय तक दबदबा रहा है और पूर्व विदेश राज्य मंत्री रघुनंदन लाल रिकॉर्ड ने छह बार जीत हासिल करके रिकार्ड कायम किया है। पाकिस्तान सीमा से लगती इस सीट पर 1957 से 2014 तक हुए लोकसभा चुनावों में बारह बार कांग्रेस जीती जिसमें पूर्व विदेश राज्य मंत्री रघुनंदन लाल भाटिया ने छह बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। उन्हें 2004 के चुनाव में पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिद्धू ने हराया था, जो दो साल पहले भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

सिद्धू ने इस सीट से लगातार तीन बार जीत हासिल की थी। गत लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद भाजपा के अरुण जेटली को यहां करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। उन्हें कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक लाख से अधिक वोटों से हराया था। कांग्रेस को 47 फीसदी तथा भाजपा को 37 फीसदी वोट पड़े थे। आम आदमी पार्टी के डा० दलजीत सिह को 82 हजार से अधिक मत मिले थे। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी की वजह से यह सीट कैप्टन सिंह ने छोड़ दी और इस पर हुये उपचुनाव में कांग्रेस के गुरजीत सिह औजला विजयी रहे। राज्य में सत्तारुढ कांग्रेस इस सीट पर कब्जा बरकरार रखने की तैयारी में है जबकि भाजपा भी इस सीट को कांग्रेस से हर हाल में छीनना चाहती है।

इस सीट पर मतदाताओं की संख्या साढे तेरह लाख के करीब है तथा इसके तहत आने वाली नौ विधानसभा सीटों में से केवल मजीठा सीट पर शिरोमणि अकाली दल का कब्जा है शेष आठ कांग्रेस के खाते में हैं। सत्तारूढ कांग्रेस का 8 सीटों पर दबदबा होने के कारण वह अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रही है, पर यह अभी स्पष्ट नहीं है कि कांग्रेस औजला को दोबारा प्रत्याशी बनायेगी या नहीं। वहीं बीजेपी के इस सीट पर किसी सिलेब्रिटी को उतारने की चर्चा है। दोनों दलों में उम्मीदवार को लेकर मंथन जारी है। इस क्षेत्र में अजनाला,मजीठा, अमृतसर नार्थ,अमृतसर साऊथ,अमृतसर वेस्ट, अमृतसर सैंट्रल, अमृतसर ईस्ट, अटारी और वेरका विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं जिनमें से केवल मजीठा सीट भाजपा की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के पास है और शेष आठ विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास हैं। इस सीट पर बेरोजगारी,नशा, शिक्षा,स्वास्थ्य,सफाई,सुरक्षा समेत अनेक मुद्दे हैं जो चुनाव को प्रभावित करेंगे। उद्योग लगभग बंद हो चुके हैं तथा बेरोजगारी की समस्या बढी है।


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