नई दिल्ली। कश्मीर के अलगाववादी नेता शबीर शाह की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया। ईडी ने शबीर शाह की जमानत का विरोध किया है। कोर्ट ने इस मामले पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के लिए 29 अप्रैल की तिथि तय की है। पिछले 18 फरवरी को जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी किया था। शबीर पर 2007 टेरर फंडिंग से जुड़े केस में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। जमानत याचिका मेंे खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया है। याचिका में कहा गया है कि असलमवानी के साथ संबंध के कोई सबूत नहीं हैं। पिछले 18 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने असलम वानी को जमानत दे दी थी। कोर्ट ने तीन लाख रुपये और दो निजी मुचलकों पर जमानत दी थी।
पटियाला हाउस कोर्ट ने 15 नवंबर,2017 को शबीर शाह और उसके करीबी असलम वानी के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे। 23 सितंबर,2017 को ईडी ने कोर्ट में शबीर शाह के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा था कि शबीर शाह ने प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से अपने संबंध को स्वीकार किया है। जनवरी,2018 में उसने आतंकी सरगना हाफिज सईद से बात भी की थी। वो हाफिज से कश्मीर के मसले पर बात करता रहा है। शबीर शाह को 26 जुलाई,2017 को गिरफ्तार किया गया था। यह मामला दस साल से ज्यादा पुराना है। दिल्ली पुलिस ने इससे पहले वानी को 26 अगस्त,2005 को गिरफ्तार किया था। वानी के पास से 63 लाख रुपये और बड़ी संख्या में हथियार बरामद किए गए थे। इन पैसों में से उसे पचास लाख रुपये शबीर शाह को पहुंचाने थे, जबकि दस लाख रुपये जैश-ए-मोहम्मद के एरिया कमांडर अबु बकर को देने थे और बाकी पैसे उसकी कमीशन के थे। वानी ने पुलिस को बताया था कि उसने सवा दो करोड़ रुपये शबीर शाह को पहुंचाए थे, जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने वानी और शबीर शाह के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया।