देहरादून। उत्तराखंड की पांचों सीटों पर पहले चरण में 11 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव के लिये कांग्रेस द्वारा अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दिये जाने के बाद प्रदेश में चुनावी परिदृश्य साफ हो गया है। शनिवार को देर रात कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) ने प्रदेश की सभी सीटों- टिहरी से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पौड़ी से वर्तमान भाजपा सांसद भुवन चंद्र खंडूरी के पुत्र मनीष खंडूरी, नैनीताल से कांग्रेस महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, अल्मोड़ा से राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा और हरिद्वार से पूर्व विधायक अंबरीश कुमार- को उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा कर दी। रावत और टम्टा के अलावा कांग्रेस के अन्य तीन प्रत्याशी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। फिलहाल प्रदेश की पांचों सीटों पर काबिज भाजपा पहले ही अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर चुकी है। प्रदेश की तीन सीटों पर जहां भाजपा ने अपने वर्तमान सांसदों पर ही भरोसा जताया वहीं दो सीटों पर अपने बुजुर्ग सांसदों- भुवन चंद्र खंडूरी और भगत सिंह कोशियारी द्वारा चुनाव लड़ने की अनिच्छा जाहिर करने के बाद उनके स्थान पर युवाओं को मौका दिया है।
भाजपा ने हरिद्वार, अल्मोड़ा और टिहरी सीट पर वर्तमान सांसदों क्रमश: रमेश पोखरियाल निशंक, अजय टम्टा और माला राज्यलक्ष्मी शाह को फिर चुनावी समर में उतारा है जबकि नैनीताल से कोशियारी की जगह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट को और पौड़ी से खंडूरी के स्थान पर उनके करीबी तीरथ सिंह रावत को टिकट दिया गया है। चुनाव के लिये नामांकन भरने का कल अंतिम दिन है लेकिन भाजपा और कांग्रेस द्वारा अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा किए जाने के बाद प्रदेश में यह साफ हो गया है कि सभी पांचों सीटों पर मुख्य मुकाबला इन दोनों राजनीतिक दलों के बीच ही होगा। इस बार पौड़ी सीट पर रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा जहां पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान सांसद भुवन चंद्र खंडूरी के शिष्य तीरथ सिंह रावत और हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए खंडूरी के पुत्र मनीष खंडूरी आमने—सामने हैं। दिलचस्प यह है कि विरोधी दलों में होने के बावजूद तीरथ सिंह और मनीष दोनों ही खंडूरी के राजनीतिक वारिस होने का खम ठोंक रहे हैं। बाइस मार्च को पौडी में अपने नामांकन के दौरान भुवन चंद्र खंडूरी के न आ पाने की बाबत तीरथ सिंह ने कहा, ‘खंडूरी जी स्वास्थ्य अच्छा नहीं होने के कारण यहां नहीं आ पाये। मैं उनसे मिला था और उन्होंने मुझे अपना आशीर्वाद दिया है। वह मेरे समर्थन में यहां एक रैली जरूर करेंगे।’
मुख्यमंत्री रावत ने इस संबंध में कहा, खंडूरी जी तीरथ की उंगली पकड़ कर राजनीति में लाये हैं। उनका मानना है कि भले ही मनीष उनका पुत्र है लेकिन तीरथ सिंह उनका बड़ा पुत्र है। वहीं मनीष खंडूरी ने कहा कि वह अपने पिता के आशीर्वाद और सहमति से राजनीति में आये हैं और उनकी ईमानदारी और कर्मठता की राजनीति का लाभ उन्हें ही मिलेगा। तत्कालीन टिहरी रियासत के महाराजा मानवेंद्र शाह की पुत्रवधु और भाजपा प्रत्याशी माला राज्यलक्ष्मी टिहरी सीट दो बार अपने नाम कर चुकी हैं। उन्होंने पहली बार यह सीट 2012 के उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र और कांग्रेस प्रत्याशी साकेत बहुगुणा को हराकर जीती थी। वर्ष 2014 के आम चुनाव में उन्होंने दोबारा साकेत को पटखनी देते हुए यह सीट अपने नाम की। टिहरी रियासत के प्रतिनिधियों के प्रति जनता के प्रेम के भरोसे जीत की उम्मीद रख रहीं माला राज्यलक्ष्मी का मुकाबला इस बार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह से है जो चकराता, जौनसारी और आसपास के क्षेत्र में खासी पकड़ रखते हैं और उनकी बदौलत चार बार लगातार विधायक चुने गये हैं। नैनीताल सीट पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत से हो रहा है। पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे भट्ट और कई संसदीय चुनावों का अनुभव रखने वाले रावत के बीच भी संघर्ष रोचक होने की संभावना है। अल्मोड़ा में केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा के बीच मुकाबला है। पिछली बार भी इस सीट से यही दोनों उम्मीदवार आमने-सामने थे जिसमें करीब एक लाख मतों से बाजी अजय टम्टा के हाथ लगी थी। हरिद्वार सीट से वर्तमान सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के सामने कांग्रेस के अंबरीश कुमार हैं जो अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि करीब एक दशक पहले समाजवादी पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए कुमार निशंक के सामने कितनी बड़ी चुनौती पेश कर पायेंगे।