इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह के मामले की सुनवाई कर रही एक अदालत ने पूर्व सैन्य शासक के लिए प्रश्नावली तैयार करने का मंगलवार को आदेश दिया और यह तय करने के लिए मदद मांगी कि वह वीडियो लिंक के जरिए अपना बयान दर्ज करा सकते हैं या नहीं। पूर्ववर्ती पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज सरकार ने नवंबर 2007 में संविधानेतर आपातकाल लागू करने को लेकर मुशर्रफ के खिलाफ 2013 में देशद्रोह का मामला दर्ज किया था।
मुशर्रफ मार्च 2016में दुबई चले गए थे। वह तब से स्वदेश वापस नहीं आए हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि वह ‘एमिलॉयडोसिस’ नामक बीमारी से पीड़ित हैं और उनका उपचार चल रहा है। ‘डॉन’ समाचार पत्र ने बताया कि न्यायाधीश ताहिरा सफदर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 75 वर्षीय मुशर्रफ के वकील द्वारा मंगलवार को दायर हलफनामा स्वीकार कर लिया और पूर्व राष्ट्रपति के लिए प्रश्नावली तैयार किए जाने का आदेश दिया।
रिपोर्ट में कहा गया कि मुशर्रफ के वकील ने कहा कि अदालत में पूर्व राष्ट्रपति की मौजूदगी आवश्यक है और वीडियो लिंक के माध्यम से उनका बयान दर्ज नहीं हो सकता। अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि मामले में मुशर्रफ के बयान दर्ज नहीं किए जाने से इसमें बाधा उत्पन्न नहीं होनी चाहिए और सुनवाई आगे बढ़नी चाहिए। पीठ ने यह तय करने में सहायता मांगी कि क्या मुशर्रफ कानून के दायरे में वीडियो लिंक के जरिए अपना बयान दर्ज करा सकते हैं या नहीं। मामले की सुनवाई 28 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई। देशद्रोह के मामले में उम्रकैद अथवा सजा-ए-मौत हो सकती है।