नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम में 50 फीसदी वीवीपैट के इस्तेमाल की मांग को लेकर 21 विपक्षी दलों की संयुक्त रुप याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने निर्वाचन आयोग को 25 मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 25 मार्च को सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग का कोई अधिकारी कोर्ट में मौजूद रहे। जिन विपक्षी नेताओं ने याचिका दायर की है उनमें टीडीपी के चंद्रबाबू नायडु, एनसीपी के शरद पवार, कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, बीएसपी के सतीश चंद्र मिश्रा, डीएमके के एमके स्टालिन, सीपीएम के टीके रंगराजन, आरजेडी के मनोज कुमार झा, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला, सीपीआई के सुधाकर रेड्डी, जेडीएस के कुंवर दानिश अली, रालोद के अजित सिंह, एआईयूडीएफ के एम बदरुद्दीन अजमल, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के खुर्रम अनीस उमर, तेलंगाना जन समिति के प्रोफेसर कोडानडरम, और नागा पीपुल्स फ्रंट के केजी किनी शामिल हैं। याचिका में कहा गया है कि हर चुनाव क्षेत्र के 50 फीसदी बूथों पर वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से मिलान होना चाहिए। फिलहाल निर्वाचन आयोग वीवीपैट का मिलान एक चुनाव क्षेत्र में एक बूथ पर ही करता है। याचिका में ईवीएम के जरिये चुनाव में गड़बड़ी की आशंका जताई गई है। इन विपक्षी दलों ने हाल ही में निर्वाचन आयोग से भी 50 फीसदी बूथों पर वीवीपैट के इस्तेमाल की मांग की थी।