नई दिल्ली। पुलवामा हमले के बाद कई शहीदों के खेत आने के बाद अब हमले के मास्टरमाइंड अब्दुल राशिद गाजी उर्फ कामरान के ढेर होने के बाद उस सेना अभियान ऑल आउट की चर्चा हो रही है जिसके तहत ऐसे खतनाक आतंकी को मार गिराया गया। उल्लेखनीय है भारतीय सुरक्षा बलों की ओर से 2017 के दौरान कश्मीर के आतंकियों के सफाये के लिए इस सैन्य अभियान की शुरुआत की गई थी। इस अभियान का मकसद राज्य में पूर्ण शांति व्यवस्था को कायम करना था। इस अभियान में भारतीय सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ), जम्मू-कश्मीर पुलिस, बीएसएफ व भारतीय खुफिया ब्यूरो के कर्मी शामिल हैं। हालांकि अभियान का मुख्य लक्ष्य राज्य में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन व अल-बदर समेत अन्य छोटे बड़े आतंकी संगठनों की गतिविधियों को पूरी तरह ध्वस्त करने का है। इस अभियान के शुरुआत की मंजूरी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2016 के दौरान दी थी क्योंकि आतंकी बुरहान वानी की मौत अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले के बाद राज्य में शांति व्यवस्था की स्थित बदतर हो गई थी। हालांकि पिछले 14 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्य पाल मल्लिक ने कहा था कि इस तरह की किसी अभियान की जानकारी उनके पास नहीं है। मल्लिक ने आगे कहा था कि इस तरह के किसी अभियान का कोई वजूद नहीं है लेकिन गोली चलाने वाले अपने लिए फूलों की वर्षा की उम्मीद नहीं करें। सीआरपीएफ काफिले के हमले अब कश्मीर सहित देश के लोग कहने लगे हैं कि ऑपरेशन ऑल आउट से दहशतगर्द बौखला गए हैं। कई आतंकी संगठनों के प्रमुख कमांडर के मारे जाने के बाद से घाटी में सक्रिय अन्य आतंकी संगठनों में डर का माहौल है। इसलिए आतंकी जवानों को निशाना बना रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सेना ने अब तक जुनैद मट्टू (उसे दिसंबर 2016 में कुलगाम जिले का लश्कर प्रमुख नियुक्त किया गया था), बशीर अहमद वानी (छह पुलिसकर्मियों की शहादत की घटना का मास्टरमाइंड), वसीम शाह उर्फ वसीम मल्ला (लश्कर के लिए एक कूरियर बॉय के रूप में काम करता था), सद्दाम पद्दर (बुरहान वानी की तरह दिखने के कारण आतंकियों में मशहूर था। एक साल में हिजबुल का का बड़ा आतंकी बन गया), अबू हमास (जैश-ए-मोहम्मद का डिवीजनल कमांडर था), अबू दुजाना (दुजाना एक पाकिस्तानी आतंकी था), अल्ताफ अहमद कचरू (हिजबुल का सबसे पुराना ऑपरेटिव कमांडर था), मोहम्मद यासीन (जुलाई 2016 को बुरहान वानी की मौत के बाद हिजबुल का डिवीजनल कमांडर बना था), शौकत अहमद टाक (पाक के लिए घाटी में एक बड़ा संपर्क था), जीनत-उल-इस्लाम (अलबद्र का आईईडी विशेषज्ञ आतंकी) आदि जैसे कई आतंकियों को मार गिराया है। उधर, सुरक्षा पर काम करने वाली विश्व स्तर की ब्रुकिंग्स इंस्टिच्यूशन के मुताबिक अफगानिस्तान से लेकर कश्मीर तक उपजे हालात के मुताबिक युद्ध का खतरा अब कश्मीर पर मंडरा रहा है। इसके मुताबिक पहले यह खतरा अफगानिस्तान के काबुल पर मंडरा रहा था। वहां अलकायदा की हिंसक गतिविधियों के कारण वह 9/11 के बाद यह इलाका अमेरिका की नजर पर आया। अमेरिका ने वहां अलकायदा पर लगाम कसने के लिए तालिबान को वहां तहस-नहस किया। बाद में इसी कड़ी में उसने पाकिस्तान में अलकायदा का कर्ताधर्ता ओसामा बिन लादेन को मार गिराया। लेकिन अब अफगानिस्तान की तबाही के बाद वहां के आतंकियों अब आर्थिक हालात सही नहीं रहे। शायद इसलिए कामरान ने भी कश्मीर का रास्ता अख्तियार किया और कल सेना के हाथों मारा गया। हालांकि सुरक्षा विशेषज्ञ व रॉ के पूर्व अधिकारी आरएसएन सिंह कश्मीर सहित पूरे देश देश में आईएसआईएस की गतिविधियों को अलकायदा का ही मुखौटा मानते हैं। उनके मुताबिक भारत में अलकायदा अपने नेटवर्क को मजबूत करना चाहता है। उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पूर्व देश की केंद्रीय एजेंसी एनआईए ने देश स्तर पर छापेमारी की थी और कई कथित आईएसआईएस के स्लीपर सेल को हिरासत में लिया था।