मोदी सरकार ने अपने अंतरिम बजट को चुनावी बजट बनाकर भले ही पेश किया हो, लेकिन इस बजट से मजदूरों के लिए जरूर राहत की आहट हुई है। इसमें सरकार ने मजदूरों को पेंशन देने की योजना का एलान किया है। हालांकि मजदूरों के लिए अभी बहुत काम करने की जरूरत है। क्योंकि देश का किसान और मजदूर ही देश की रीढ़ है। जब तक देश की रीढ़ मजबूत नहीं होगी तब तक देश सीना तानकर खड़ा ही नहीं हो सकता।
फिर भी सरकार द्वारा मजदूरों की सुध लेना ही सकारात्मक यात्रा की शुरुआत मानी जा सकती है। मोदी सरकार के अंतरिम बजट लोकसभा में पेश करने के दौरान हर किसी के लिए कुछ-न-कुछ नजर आया। परन्तु मजूदरों के लिए सरकार की नई योजना की घोषणा ने मुरझाए चेहरों पर खुशियाँ लाने का प्रयास किया।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अनुपस्थिति में वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे पीयूष गोयल ने आम चुनाव से पहले शुक्रवार को मोदी सरकार का अंतरिम बजट पेश किया। सरकार ने बजट में मजदूरों के लिए एक नई योजना की घोषणा की है। सरकार ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सौगात देते हुए उनके लिए पेंशन स्कीम का ऐलान है।
इस स्कीम का नाम प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना है। जिसके तहत 15 हजार कमाने वाले 10 करोड़ मजदूरों को इस योजना का लाभ मिलेगा। इस पेंशन स्कीम के तहत मजदूरों को 3,000 हजार रुपए प्रति माह मिलेंगे।
यह योजना असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए है। इस योजना का लाभ मजदूरों को 60 वर्ष की आयु के बाद मिलेगा। योजना का लाभ लेने के लिए मजदूरों को प्रति माह 100 रुपए का अंशदान करना होगा जिसके बाद उन्हें 3,000 रुपए प्रति माह मासिक पेंशन मिलेगी।
इस योजना से सरकार ने शहरी-ग्रामीण विभाजन को कम करने का प्रयास किया है। क्योंकि देश के गरीबों का देश के संसाधनों पर पहला अधिकार है। इससे गाँव की आत्मा संरक्षित होगी।
भले ही सरकार देश के गावों को स्मार्ट न बना सकी हो, लेकिन शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के असंगठित मजदूरों में विश्वास और सुरक्षा की भावना जाग्रत हो सकती है। भले ही गावों से पलायन ना रुके परन्तु मन परिवर्तन होने की संभावनाएं जग सकती है।
बजट में श्रमिकों का बोनस बढ़ाकर 7 हजार रुपए और 21 हजार रुपए तक के वेतन वालों को बोनस दिए जाने की घोषणा की गई है।
इस बजट के माध्यम से जहां 10 करोड़ मजदूरों को पेंशन देने की योजना की घोषणा की वहीँ 12 करोड़ किसानों को सीधा लाभ देने की योजना लांच की गई. देश के छोटे किसानों अर्थात 2 हेक्टेयर भूमि से कम के किसानो को 2-2 हजार की तीन किस्तों में 6 हजार रुपये सालाना दिए जाएंगे। हालांकि किसान भाइयों की मदद के लिए सरकार को 75 हजार करोड़ का बोझ सहन करना पड़ेगा।
इस योजना का लाभ मनरेगा की तरह हर साल किसानों को होगा. किसानों को खेती की शुरुआत करने के लिए इस योजना से काफी मदद होगी.