नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को नई शिक्षा नीति (एनईपी) में हिन्दी को अनिवार्य किए जाने संबंधी खबरों को खंडन करते हुए कहा कि समिति ने किसी भी भाषा को अनिवार्य करने की सिफारिश नहीं है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर कहा, नई शिक्षा नीति संबंधी समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में किसी भी भाषा को अनिवार्य बनाने की सिफारिश नहीं की है। मीडिया के एक वर्ग में शरारती और भ्रामक रिपोर्ट के मद्देनजर यह स्पष्टीकरण आवश्यक है। सूत्रों के अनुसार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख डॉ. कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय समिति ने नई शिक्षा नीति पर दिसम्बर में अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। हालांकि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव और फिर संसद के शीतकालीन सत्र के चलते इस पर आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी। माना जा रहा है कि सरकार अब इसे सार्वजनिक कर जल्द से जनता के सुझाव मांग सकती है। सूत्रों के मुताबिक नई शिक्षा नीति के मसौदे में तीन भाषाई नीति के साथ-साथ आठवीं कक्षा तक हिन्दी को अनिवार्य किए जाने और देशभर में गणित और विज्ञान विषय का एक समान पाठ्यक्रम रखने की सिफारिश की गई है। दक्षिण भारत में हिन्दी को काफी समय से विरोध का सामना करना पड़ता रहा है। मौजूदा समय में भी तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गोवा, पश्चिम बंगाल और असम आदि में हिन्दी अनिवार्य नहीं है।