नई दिल्ली। मुस्लिमों में एक बार में तीन तलाक की प्रथा को अपराध की श्रेणी में लाने वाला तीन तलाक बिल बुधवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। विपक्ष के विरोध के बावजूद यह बिल लोकसभा में पास हो चुका है। यहां सरकार को बिल पास कराने में कोई मुश्किल नहीं आई। राज्यसभा में संख्या बल की कमी के कारण सरकार को मुश्किल का सामना करना पड़ा रहा है। विपक्ष की मांग है कि बिल के सभी पहलुओं पर चर्चा के लिए इस संसद की सिलेक्ट कमेटी में भेजा जाए। लेकिन सरकार इस प्रस्ताव पर राजी नहीं है। इससे पहले तीन तलाक बिल सोमवार को राज्यसभा में पेश हुआ था, लेकिन विपक्ष के लगातार हंगामे के चलते कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई थी। इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि वह मौजूदा स्वरूप में इस बिल को पास नहीं होने देगी। विपक्षी दल इसे सलेक्ट कमिटी में भेजने की भी मांग कर रहे हैं। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने तीन तलाक से संबंधित विधेयक प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव किया है। आजाद ने अपने प्रस्ताव में प्रवर समिति के लिए 11 विपक्षी सदस्यों के नाम भी प्रस्तावित किए हैं। संख्या बल के हिसाब से राज्यसभा में सरकार का पक्ष कमजोर है। अगर राज्यसभा की गणित की बात करें तो मौजूदा समय में यूपीए के 112 सदस्य हैं, जबकि एनडीए के पास 93 सदस्य है और एक सीट खाली है। इसके अलावा 39 सांसद ऐसे हैं जिनका यूपीए या एनडीए से संबंध नहीं है। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में किसी बिल को पारित कराने के लिए 123 सदस्यों का समर्थन चाहिए. लेकिन एनडीए इस आंकड़े से दूर है।