एक ऐसा कलाकार जिसे कई पीढ़ियां एक साथ याद कर सकती हैं, वह हैं कादर खान. यह उनकी अभिनय क्षमता, हावभाव और डॉयलॉग का ही असर है कि जब भी बॉलीवुड में हास्य- संसार की चर्चा होगी, कादर खान के बिना पूरी नहीं होगी. यही कारण है कि लंबे समय से सुदूर कनाडा में इलाज करा रहे कलाकार का पार्थिव शरीर स्वदेश नहीं आ रहा, यह खबर उनके चाहने वालों को और अधिक गमगीन कर देती है. बॉलीवुड़ के दिग्गज कलाकार कादर खान के निधन की खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ पड़ी. उनके प्रशंसक देश तक ही सीमित नहीं है, इसलिए तमाम जगहों से प्रतिक्रियाएं आ रहीं हैं.
इस महान कलाकार का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था. बहुत कम उम्र में वह परिवार के साथ मुंबई आ गए थे. यहीं उन्होंने शिक्षा प्राप्त की व उसके बाद कॉलेज में अध्यापक की नौकरी भी की. 36 वर्ष की उम्र में 1973 में उन्हें ‘दाग’ फिल्म से बतौर एक्टर फिल्म- करियर की शुरुआत करने का मौका मिला. हालांकि इससे पहले वह रणधीर कपूर और जया बच्चन की फिल्म ‘जवानी-दिवानी’ के लिए संवाद लिख चुके थे. एक पटकथा लेखक के तौर पर कादर खान मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा के साथ भी कई फिल्में लिख चुके थे. इनमें ज्यादातर अमिताभ बच्चन की फ़िल्में शामिल हैं. अमिताभ को सुपर स्टार बनाने में खान के संवादों का अहम रोल रहा है. दोनों ने कई फिल्मों में साथ काम भी किया है.
करीब पांच दशकों तक बॉलीवुड में हर किरदार में हिट व फिट रहे कादर खान अपनी टाइमिंग के लिए भी खासतौर पर जाने जाते थे. रिपिट एक्शन या यूं कहें कि रिटेक बहुत कम लेते थे. इस मामले में अन्य कलाकार भी उनसे प्रेरणा लेते थे. वह अपने आप में स्वयं एक ट्रेनिगं स्कूल थे. अपने काम के प्रति ईमानदारी हमेशा से उनके अंदर देखने को मिली. उन्होंने न जाने कितने लोगों को बिना स्वार्थ के कलाकार बनाकर बॉलीवुड़ में स्थान दिलवाया. हमेशा जरूरतमंदों की सहायता की, जिसके चलते वो सब उनको गुरु,भाई व बाप मानते थे. यह सम्मान उन्हें बाहर के भाी कई देशों में मिला. खास बात यह कि उनका किसी विवाद से कभी कोई रिश्ता नही रही, क्योंकि सबके लिए समान सोच ही उनकी सबसे बड़ी पहचान बनी.
अपने करियर के शुरुआती दौर में उन्होंने बतौर विलेन कई फिल्में में काम किया. वह हीरो की भूमिका निभाने वाले हर कलाकार को फीका कर देते थे. 70 व 80 के दशक में एक फिल्म में कई लोगों की टीम काम कर रही होती थी. तब एक फिल्म में विलेन की संख्या भी अच्छी खासी होती था लेकिन पूरे फिल्म में सबसे शानदार किरदार के लिए कादर खाम को हर बार प्रशंसा मिली. खान से सिनियर,साथ के व जूनियर कलाकार हमेशा उनसे सीखते थे. विलेन के साथ अन्य रोल में भी देखे गए लेकिन करियर के अंतिन दौर में जबरदस्त कॉमेडी करके सभी हास्य कलाकरों को उन्होंने बेचैन कर दिया था. उनकी कॉमेडी को लोगों ने इतना पसंद किया कि लोग खान का यह नया अवतार समझने लगे. गोविंदा,शक्ति कपूर व कादर खान ने नब्बे के दशक में वो धमाल मचाया था, जिससे एक लंबे समय तक इस तिकड़ी ने किसी को टिकने नही दिया. हर फिल्म सुपरहिट होती थी.
खान की कॉमेडी भी अजीब होते थी. चेहरे पर गंभीरता लेकिन शब्दों मे शरारत का भंडार होता था. उनको खुद को नहीं पता था कि दर्शक उनको इस रूप में भी इतना पसंद करेंगे. ज्ञात हो कि फरवरी 2013 में जब कादर खान की मौत से जुड़ी अफवाहें चल रही थीं तो एक निजी चैनल ने सीधे उनसे बात की थी. उन्होंने कहा था ”दुख हुआ है. एक आदमी को जिंदा रहते, किसी आदमी ने, अखबारों में, इंटरनेट पर ये साबित कर दिया कि ये आदमी जिंदा नहीं है. मर गया है.” इस घटना पर वो बेहद नाराज़ व दुखी हुए थे.
दूल्हे राजा,कुली न.1,साजन चले ससुराल,मुझसे शादी करोगी,हिम्मतवाला(पुरानी),मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी,आंखें,सिक्का,हम जैसी फिल्मों में इस कलाकार द्वारा किए गए रोल को कोई भी पीढ़ी नही भूल सकती. आश्चर्य कि बात तो यह है कि जो लोग इन फिल्मों के आने कं बाद पैदा हुए हैं वो भी इन फिल्मों के डायलॉग दोहराते हैं. कादर खान जैसे हीरो रील लाइफ में हिट तो रियल लाइफ में सुपरहिट रहते हैं. अपने परोपकार से सैंकड़ों लोगो की भला करने वाले इस अभिनेता ने कभी किसी पर कोई एहसान नहीं जताया. हालांकि खुद जिंदगी में कई बार उतार-चढ़ाव देखे लेकिन डगमगाए नहीं और अपनी परेशानी का हल स्वयं ही ढूंढने में सक्षम थे. निश्चित ही ऐसे महान अभिनेता को खोने पर देश को बहुत दुख है.