पांच मंत्र जिनसे आप सफलता की ऊंचाई पर पहुंच सकते हैं

asiakhabar.com | December 21, 2018 | 5:36 pm IST
View Details

योग में पांच यम, पांच नियम, जैन परंपरा में पांच महाव्रत और बौद्ध धर्म के पांच शील प्रसिद्घ हैं। आज को दौर में उनके नए संस्करण जरूरी हैं। यम नियम और पंच महाव्रत या शील निजी जीवन को संस्कारित करने और सुगठित बनाने के लिए है। परंतु उनका शुद्धतम अर्थों में पालन करना कठिन है।

बेहतर है कि पहले व्यावहारिक पंचशीलों को व्यवहार में शामिल रखा जाए। पारंपरिक योगसाधना में शामिल पंचशीलों को सुबोध अर्थों में समझना चाहें तो उन्हें श्रमशीलता, मितव्ययिता, शिष्टता, सुव्यवस्था और सहकारिता के नाम दे सकते हैं। नए पंचशीलों के नाम इस प्रकार हैं-

श्रमशीलता:- आरामतलबी की बजाए श्रम करने में बड़प्पन अनुभव करें। तत्परता और तन्मयता भरे परिश्रम से जोड़ कर दिनचर्या बनाई जाए।

मितव्ययता:- अमीरी के प्रदर्शन से सम्मान नहीं मिलता, ईष्र्या ही उपजती है। लिहाजा कम खर्च में काम चलाते हुए सादा जीवन उच्च विचार का नीति को अपनाया जाए। जरूरतमंदों की सेवा में लगाएं।

शिष्टता:- कहा जाता है कि शालीनता बिना मोल मिलती है, परन्तु उससे सब कुछ खरीदा जा सकता है।

सुव्यवस्था:- समय, श्रम, मनोयोग, जीवनक्रम, शरीर, सामथ्र्य का सुनियोजन करें। उन्हें ऐसे संभाल कर रखना चाहिए कि उनका समुचित लाभ उठाया जा सके।

सहकारिता:- मिलजुलकर काम करना। परिवार, कारोबार, लोकव्यवहार में, सामंजस्य, साथ-साथ काम करने की प्रवृत्ति बनी रहे। एकाकी और नीरसता, निराशा भरे वातावरण से बचें।

 


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *