मध्यप्रदेश में भाजपा के मजबूत गढ़ में सत्ता की चाबी खोजेंगे राहुल गांधी

asiakhabar.com | October 24, 2018 | 4:37 pm IST
View Details

इंदौर। मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रचार अभियान को आगे बढ़ाते हुए पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अगले हफ्ते मालवा-निमाड़ अंचल पहुंचेंगे। वह भाजपा की मजबूत पकड़ वाले इस इलाके में शहरी मतदाताओं के साथ दलितों, आदिवासियों और किसानों को साधने की कोशिश करेंगे। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और मध्यप्रदेश मामलों के सह प्रभारी संजय कपूर ने बुधवार को कहा, “हम मालवा-निमाड़ में भाजपा के वर्चस्व को राहुल की अगुवाई में सीधी चुनौती देंगे, जहां मतदाता इस बार बदलाव चाहते हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि मालवा-निमाड़ अंचल में दलितों, आदिवासियों और किसानों समेत समाज के तमाम तबके पिछले 15 साल से सत्तारूढ़ भाजपा की नीतियों के कारण बदहाल हैं।कपूर ने प्रस्तावित कार्यक्रम के हवाले से बताया कि राहुल का मालवा-निमाड़ दौरा 29 अक्टूबर को उज्जैन से शुरू होगा। वह इस धार्मिक नगरी में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। कांग्रेस सचिव ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष 29 अक्टूबर को ही आदिवासी बहुल धार जिले में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद वह इंदौर पहुंचकर करीब तीन किलोमीटर के रास्ते पर रोड शो करेंगे।

कपूर ने बताया कि अगले दिन यानी 30 अक्टूबर को राहुल संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आम्बेडकर की महू स्थित जन्मस्थली पहुंचेंगे। “दलितों के मसीहा” के स्मारक में शीश नवाने के बाद वह इंदौर के इस नजदीकी कस्बे में चुनावी सभा को भी संबोधित करेंगे। उन्होंने बताया कि राहुल 30 अक्टूबर को ही खरगोन और झाबुआ जिलों में चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे। दोनों जिलों में आदिवासियों की बड़ी आबादी रहती है।इस बीच, कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पार्टी के स्थानीय नेता कोशिश कर रहे हैं कि राहुल महू के पास जानापाव की पहाड़ियों में स्थित भगवान परशुराम की जन्मस्थली भी जायें। हालांकि, इस कार्यक्रम को लेकर अब तक असमंजस बना हुआ है।

कुल 230 सीटों वाली प्रदेश विधानसभा में मालवा-निमाड़ की 66 सीटें हैं। पश्चिमी मध्यप्रदेश के इंदौर और उज्जैन संभागों में फैले इस अंचल को सूबे की “सत्ता की चाबी” भी कहा जाता है। वर्ष 2013 के पिछले विधानसभा चुनावों में मालवा-निमाड़ की 66 सीटों में से भाजपा ने 56 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस को केवल नौ सीटों से संतोष करना पड़ा था। एक सीट भाजपा के बागी नेता के खाते में आयी थी जिसने अपनी पार्टी से टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *