इंदौर। यौन अपराधों से आधी आबादी की सुरक्षा के लिये देश में सख्त प्रावधानों के वजूद में होने का हवाला देते हुए केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को कहा कि महिलाएं कानूनी संरक्षण हासिल करने के लिये पुलिस या न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती हैं। ईरानी ने यहां भाजपा के आयोजित एक कार्यक्रम में “मी टू अभियान” के बारे एक महिला श्रोता के सवाल पर संक्षिप्त जवाब में कहा, “देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिये पुलिस प्रणाली और न्यायिक तंत्र में सख्त कानूनी प्रावधान हैं। अगर कोई भी महिला कानूनी संरक्षण चाहती है, तो वह नजदीकी पुलिस थाने जा सकती है। वह इंसाफ पाने के लिये न्यायिक प्रक्रिया अपनाते हुए अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकती है।’’
उन्होंने महिलाओं, खासकर कम उम्र की लड़कियों के खिलाफ होने वाले जघन्य यौन अपराधों से जुड़े एक अन्य सवाल पर कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए ऐसा कड़ा कानून बनाया गया है जिसमें बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों के लिये सजा-ए-मौत का प्रावधान है।” ईरानी ने कार्यक्रम में मौजूद महिलाओं से अपील की कि आधी आबादी को उसके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाये। इसके साथ ही, यौन अपराधों से पीड़ित महिलाओं की हरसंभव मदद की जाये ताकि वे दोबारा सामान्य सामाजिक जीवन जी सकें। उन्होंने कहा, “अगर हम (यौन) अपराधों की पृष्ठभूमि देखें, तो पाते हैं कि बात छेड़खानी से शुरू होती है और बेहद जघन्य वारदात तक पहुंच जाती हैं। किसी इलाके में महिलाओं से छेड़खानी की घटनाओं की जानकारी मिलने पर परिजनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को पुलिस और जन प्रतिनिधियों को फौरन इसकी सूचना देनी चाहिये ताकि अपराधों से महिलाओं की हिफाजत की व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सके।”
केंद्रीय कपड़ा मंत्री ने यह भी कहा कि परिजनों को उनकी संतानों को बचपन से सिखाना चाहिये कि वे महिलाओं का सम्मान करें। उन्होंने कहा, “सामाजिक परिवर्तन की शुरूआत परिवार में बचपन से संस्कार दिये जाने से होती है। बेटा हो या बेटी, हम अपनी संतानों को महिलाओं का सम्मान करना सिखायें। अगर सामान्य बातचीत के दौरान भी बेटे के मुंह से किसी भी महिला के लिये कोई अपशब्द निकले, तो हम उसे फौरन टोककर सही रास्ता दिखायें।” ईरानी, “राजमाता विजयाराजे सिंधिया जन्म शताब्दी समारोह” में हिस्सा ले रही थीं। उन्होंने भाजपा की दिवंगत नेता को याद करते हुए कहा, “विजया राजे सिंधिया राजघराने से थीं। लेकिन उन्होंने आपातकाल के खिलाफ पुरजोर संघर्ष किया और जेल गयीं। उन्होंने अपने जीवनकाल में पूरे समाज के लिये मिसाल कायम की।”