नयी दिल्ली। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि रोहिंग्या और अन्य अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई मानवाधिकारों के नजरिए से नहीं देखी जानी चाहिए क्योंकि भारत ने कभी भी विदेशियों के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया है। उन्होंने नयी दिल्ली में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और मानवाधिकार किसी धर्म पर आधारित नहीं है। उन्होंने समारोह के मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि सख्त कार्रवाई के नाम पर अमानवीय कार्रवाई के लिए कोई जगह नहीं है। लेकिन मेरी यह भी दृढ़ धारणा है कि राष्ट्रीय और सामाजिक हित में उठाए गए कदमों को मानवाधिकारों के उल्लंघन के दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए।” गृह मंत्री ने कहा कि कई अवसरों पर कुछ लोग अपराधियों या आतंकवादियों के मानवाधिकारों को लेकर चिंता जताते हैं। उन्होंने कहा, “मैं पूछना चाहता हूं कि ऐसे अपराधी या आतंकवादी न केवल दूसरों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं बल्कि उनके जीने का अधिकार भी ले लेते हैं, ऐसी स्थिति में हम कैसे ऐसे अपराधियों के मानवाधिकारों का मुद्दा उठा सकते हैं।”
सिंह ने कहा कि भारत में अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई मानवाधिकारों के दृष्टिकोण से नहीं देखी जानी चाहिए। “उनके प्रति कोई अमानवीय व्यवहार नहीं था। मुझे इस बात से खुशी है कि उच्चतम न्यायालय का हालिया फैसला सात रोहिंग्या (असम से) के निर्वासन के पक्ष में था।’’ गृह मंत्री ने कहा कि मानव अधिकारों को उचित परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए क्योंकि मानवाधिकारों का मतलब है कि हर किसी को गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार। उन्होंने कहा कि इस दिशा में, हमारी सरकार ने करोड़ों लोगों के लाभ के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू की हैं। सिंह ने भारत में महिलाओं की सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एनएचआरसी ने अपने 25 साल में कई उपलब्धियां हासिल की है और देश के संस्थागत ढांचे में खुद के लिए एक जगह बनायी है।