बच्चे जब छोटे होते हैं तो उन्हें सिर्फ दिन में ही नहीं, रात में माता−पिता की आवश्यकता होती है। जिसके कारण उन्हें अभिभावकों के साथ सुलाना आवश्यक होता है। धीरे−धीरे यह उनकी आदत बन जाती है और वह बड़े होने के बाद भी अकेला सोना पसंद नहीं करते। ऐसे में उन्हें एकदम से उनके कमरे में अलग सुलाना काफी मुश्किल होता है। पर उम्र बढ़ने के साथ−साथ बच्चे में आत्मनिर्भरता का विकास करना आवश्यक होता है और इसकी शुरूआत उन्हें अकेले कमरे में सुलाने से की जा सकती है। अगर आपका बच्चा भी अकेला सोना पसंद नहीं करता तो आप इन तरीकों को आजमाकर उसकी आदत बदल सकते हैं−
सुलाएं अपने कमरे में
किसी भी बच्चे को एकदम से अलग कमरे में सोने से डर लग सकता है। ऐसे में शुरूआत आप अपने कमरे से ही करें। कोशिश करें कि आप अपने कमरे में ही बच्चे के लिए अलग सोने का एक स्थान बनाएं ताकि धीरे−धीरे उसे अकेले सोने की आदत हो और अगर वह रात में उठकर डर भी जाए तो आप उसके आस−पास ही हों।
यूं सुलाएं दिन में
अगर आप चाहती हैं कि बच्चे के मन में अपने कमरे को लेकर एक अपनत्व की भावना उत्पन्न हो तो न सिर्फ उसके कमरे में उसकी मनपसंद चीजें रखें, बल्कि आप दिन में उसे उसी के कमरे में सुलाने की आदत डालें। ऐसा करने से उसे रात को सोने में अजीब नहीं लगेगा। साथ ही उसका कमरा कुछ इस तरह डिजाइन हो कि वह अधिकतर एक्टिविटीज अपने कमरे ही कर सकें। इससे उसका अपने कमरे के प्रति लगाव पैदा होगा और रात को उसे कमरे में सोने में परेशानी नहीं होगी।
सुनाएं कहानी
बच्चों को उनके कमरे में अकेले सुलाने के लिए आप रात में कुछ देर उनके पास बैठें और कुछ अच्छी कहानियां सुनाएं। इससे बच्चों का मानसिक व भावनात्मक विकास होता है। साथ ही उनके कुछ इमेजिनरी फ्रेंड्स जैसे डॉल या कोई टॉय भी अवश्य बनाएं ताकि उन्हें कमरे में किसी भी तरह का अकेलापन महसूस न हो।
रोशनी का ख्याल
रात के समय बच्चे के कमरे में पूरी तरह अंधेरा न करें। ऐसा करने से अगर उनकी रात को आंख खुलेगी तो वह डर जाएंगे। इसलिए आप रात में हमेशा उनके कमरे में हल्की रोशनी करें और कमरे को पूरी तरह बंद न करें। हो सकता है कि उन्हें बाद में उसे खोलने में परेशानी हो। वहीं इस बात का भी ख्याल रखें कि उसके कमरे में किसी तरह का शोर न हो ताकि वह बेहद आराम से सो सके।