दरअसल यह सवाल इसलिए उठ खड़ा हुआ है क्योंकि मेहुल चोकसी ने एक टीवी समाचार चैनल को दिये साक्षात्कार में खुद को निर्दोष बताया है और कहा है कि मुझे सॉफ्ट टारगेट बनाया गया है। लेकिन अगर प्रवर्तन निदेशालय के आरोपपत्र को देखें तो साफ है कि भगोड़े आभूषण कारोबारी मेहुल चोकसी ने पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई शाखा से धोखाधड़ी के जरिए हासिल की गयी 3,250 करोड़ रुपये की राशि देश से बाहर भेज दी थी। यही नहीं मेहुल चोकसी अपनी दुकानों से बेचे जाने वाली बेशकीमती धातुओं को ज्यादा कीमतों पर भी बेच रहा था। मेहुल चोकसी का इंटरव्यू सामने आने के बाद राजनीति भी जमकर शुरू हो गयी है और कांग्रेस ने कहा है कि लगता है कि चोकसी ने भारत की मोदी सरकार की एजेंसियों के साथ सांठगांठ से वापस आने का मन बनाकर एक समाचार एजेंसी को साक्षात्कार दिया। दूसरी ओर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि केंद्रीय एजेंसियां बैंक के साथ धोखाधड़ी करने वाले आरोपी मेहुल चोकसी और उन अन्य लोगों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई कर रही हैं जो देश छोड़कर फरार हो गए हैं।
मामले पर सरकार की सफाई
इस वर्ष होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में विपक्ष की ओर से चुनाव प्रचार के दौरान नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे आर्थिक भगोड़ों का मुद्दा जोरशोर से उठाया जायेगा। हालांकि मोदी सरकार यह कहती रही है कि इन लोगों को लोन देने की शुरुआत संप्रग सरकार के कार्यकाल में हुई थी और यह घोटाला तभी से चल रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो पिछले दिनों सीधा-सीधा आरोप लगाया था कि कांग्रेस की ‘फोन बैंकिंग’ के चलते यह समस्या पैदा हुई है। उन्होंने कहा था कि संप्रग सरकार के दौरान बड़े नेताओं के फोन पर डिफॉल्टरों को और लोन दे दिये जाते थे। मोदी सरकार का तर्क है कि उसने आर्थिक भगोड़ों की संपत्ति जब्त करने का कड़ा कानून संसद से पास करवाया जिससे इन लोगों पर नकेल कसी जा सकेगी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी मेहुल चोकसी के हालिया वीडियो के जवाब में कहा है कि इतिहास में पहली बार सरकार ने ऐसे भगोड़े को पकड़ने के लिए कड़े कानून लागू कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार बैंक के साथ धोखाधड़ी करके देश से भागने वाले भगोड़ों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई कर रही है और भविष्य में भी इसी तरह की कार्रवाई होगी।
प्रवर्तन निदेशालय का आरोप-पत्र
अगर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मेहुल चोकसी पर लगाये गये आरोपों की बात करें तो दो अरब डॉलर (करीब 13,000 करोड़) की कथित बैंक धोखाधड़ी की जांच कर रही एजेंसी ने कहा है कि चोकसी ने रुपयों की हेराफेरी और अपने निजी इस्तेमाल के लिए 3,250 करोड़ रुपए की राशि को देश के बाहर भेजने के वास्ते ‘कुछ खोखा कंपनियों’ का इस्तेमाल किया। इस मामले में चोकसी का भांजा नीरव मोदी भी आरोपी है। प्रवर्तन निदेशालय ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि चोकसी ने ऋण का 5.612 करोड़ अमेरिकी डॉलर नीरव मोदी और पांच करोड़ डॉलर मोदी के पिता दीपक मोदी को भेजा।
मेहुल चोकसी भी दे रहा है सफाई
दूसरी ओर, मेहुल चोकसी ने कहा है कि राजनीतिक कारणों से उसे ‘सॉफ्ट टारगेट’ बनाया जा रहा है। हालांकि उसने यह भी कहा कि ‘‘लोकतंत्र पर पूरा भरोसा है और उम्मीद है कि इंसाफ मिलेगा।’’ चोकसी ने अपने बचाव में एक टीवी समाचार चैनल से बातचीत में कहा है कि ‘‘ये एक बड़ी राजनीतिक साजिश है। ये पूरा मुद्दा राजनीतिक बन गया है। बैंक डिफॉल्टर को वापस लाने का सरकार के ऊपर भारी दबाव है। इस चुनाव में जो बैंक के डिफॉल्टर हैं उनमें से किसी एक को नहीं लाया जाएगा तो शायद (2019 का लोकसभा) चुनाव इधर से उधर हो सकता है। मैं सॉफ्ट टारगेट हूं।’’
मेहुल चोकसी का आरोप है कि, ‘‘बैंक को बचाने के लिए मुझे बलि का बकरा बना दिया गया। अगर देखेंगे तो मेरी ये कंपनियां इस बैंक के साथ शायद 1995 से जुड़ी थीं। आज तक मेरी बैंक के साथ कोई समस्या नहीं हुई। जो कुछ भी था, वह बैंक की ओर से आरबीआई को रिपोर्ट करने की व्यवस्था में शिथिलता का था।’’ मेहुल चोकसी का दावा है कि गलती बैंक की थी और उसे बचाने के लिए मुझे ‘कुर्बान’ कर दिया गया। मेहुल चोकसी ने कहा है कि जब पहली बार 29 जनवरी को शिकायत की गई तो मैं हैरत में पड़ गया। मैं अमेरिका में इलाज करा रहा था। मैं 1998 से 2000 तक ही नीरव मोदी की कंपनी में था। उसके बाद मेरा उससे कोई कारोबारी रिश्ता नहीं रहा। मेहुल चोकसी का अपने बचाव में यह भी कहना है कि जब नीरव मोदी की कुछ कंपनियों पर पंजाब नेशनल बैंक ने कार्रवाई की तो उसकी एक कंपनी में नाम होने की वजह से मुझ पर कार्रवाई होने लगी। मेरी कंपनी में प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर करीब 6 हजार लोग काम करते थे। हिंदुस्तान में कभी ऐसा हुआ ही नहीं कि एक दिन में किसी कंपनी को बिना जांच के बंद कर दिया जाए। यह सब सरकार के ऊपर दबाव के कारण हुआ।
कांग्रेस हुई हमलावर
अब मेहुल चोकसी का यह साक्षात्कार आने के बाद से कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गयी है और सरकार पर उसे संरक्षण देने का आरोप मढ़ दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि अब एक बात साफ है कि मेहुल चोकसी और नीरव मोदी द्वारा 24,000 करोड़ रुपए की जालसाजी कर देश से भागने में सीधे-सीधे चौकीदार और उनका कार्यालय संलिप्त है। पार्टी ने दावा किया है, ‘भगोड़ों का साथ, भगोड़ों का विकास’ इस सरकार का नया नारा बन गया है। कांग्रेस का आरोप है कि मेहुल चोकसी की ‘जालसाजी’ के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय को मई, 2015 में ही शिकायत की गई थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कांग्रेस ने इस मामले में सरकार से कुछ सवाल पूछे हैं मसलन- तीन साल तक नरेंद्र मोदी सरकार ने नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पर कोई कार्रवाई नहीं की ? प्रधानमंत्री कार्यालय ने शिकायत मिलने पर कोई कदम क्यों नहीं उठाया ? विदेश मंत्रालय ने एंटीगुआ की नागरिकता हासिल करने के लिए मेहुल चोकसी को क्लीन चिट प्रमाण पत्र क्यों दिया ? प्रधानमंत्री मोदी ने एंटीगुआ के प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात में मेहुल चोकसी को नागरिकता मिलने का मुद्दा क्यों नहीं उठाया ? गौरतलब है कि मेहुल चोकसी फिलहाल एंटीगुआ में है जहां की उसे नागरिकता हासिल है।
सरकारी एजेंसियां तेजी से कर रही हैं कार्रवाई
दूसरी ओर अगर आर्थिक भगोड़ों के खिलाफ सरकार की कार्रवाइयों के बारे में बात करें तो विजय माल्या के खिलाफ सरकारी शिकंजा तेजी से कसता जा रहा है। माल्या प्रत्यर्पण मामले में लंदन की अदालत में पेश होने जा रहे हैं। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश मुंबई जेल की उस कोठरी के वीडियो की समीक्षा करेंगे जो भारतीय अधिकारियों ने शराब व्यावसायी के लिये तैयार की है। माल्या धोखाधड़ी तथा करीब 9,000 करोड़ रुपये के मनी लांड्रिंग मामले में भारत के प्रत्यर्पण अर्जी का विरोध कर रहा है।
यही नहीं, भगोड़े आभूषण करोबारी नीरव मोदी के परिवार के सदस्यों पर भी जांच एजेंसियों ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। जहां प्रवर्तन निदेशालय ने नीरव मोदी की बहन पूर्वी दीपक मोदी के खिलाफ इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाने में सफलता हासिल की है, वहीं सीबीआई ने उसके भाई नीशल मोदी के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नीरव मोदी, पूर्वी दीपक मोदी और नीशल मोदी दो अरब डॉलर के पीएनबी घोटाले में आरोपी हैं। आरोप है कि इस घोटाले को नीरव मोदी और मामा मेहुल चोकसी ने अंजाम दिया। एजेंसियां नीरव मोदी के परिवार के दोनों सदस्यों को बेल्जियम से भारत लाने का प्रयास कर रही हैं क्योंकि भारत की इस यूरोपीय देश के साथ प्रत्यर्पण संधि है।
बहरहाल, चोकसी ने अपने साक्षात्कार में जो कुछ कहा है उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि यह साफ है कि उसने शैल कंपनियों के माध्यम से पैसा बाहर भेजा और विदेशों में संपत्तियां अर्जित कीं। उसने खुद कहा है कि उसे भारतीय न्याय व्यवस्था पर पूरा विश्वास है, ऐसे में उसे भारत आकर न्याय प्रक्रिया का सामना करना चाहिए।