शिकागो। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि सहिष्णुता, प्यार, विविधता और समावेशन हिंदुत्व के पहलू हैं जो लोगों को उनके धर्मों की परवाह किए बिना उन्हें अपनाता है। वहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हिन्दु समुदाय से एकजुट होकर मानव कल्याण के लिए काम करने की अपील की। कृष्णमूर्ति ने हिंदुओं से इन मूल्यों का सभी पीढ़ियों में अनुसरण करने का भी आग्रह किया। दूसरे विश्व हिंदू सम्मेलन को संबोधित करते हुए कृष्णमूर्ति ने कहा कि हिंदुत्व में सहिष्णुता और समावेशन जैसे मूल्य शामिल हैं।
उन्होंने कहा, ‘हमें अपने बच्चों और सभी पीढ़ियों को सहिष्णुता, प्रेम, विविधता और समावेशन के मूल्य सिखाने चाहिए जो हिंदुत्व में शामिल हैं। हमें अपने आप को हिंदुत्व के इस सर्वोच्च रूप की ओर फिर से प्रतिबद्ध करना होगा तथा किसी अन्य रूप को खारिज करना होगा।’ उन्होंने कहा, ‘हमें हर व्यक्ति को स्वीकार करना चाहिए। चाहे वह जहां से भी हो और उनका धर्म या पंथ जो भी हो।’
धर्मपरायण हिंदू और इलिनोइस से पहले भारतीय मूल के कांग्रेस सदस्य ने कहा कि उन पर अपने कुछ लोगों से इस महा सम्मेलन में भाग न लेने का दबाव था। स्वामी विवेकानंद के 11 सितंबर 1893 के भाषण का जिक्र करते हुए कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘बराबरी और अनेकवाद की उनकी विरासत के कारण मैं एक हिंदू, एक अमेरिकी और एक अमेरिकी सांसद के तौर पर आपके सामने खड़ा हूं। ऐसा करके हम स्वामी विवेकानंद की सच्ची विरातस का सम्मान करेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी लोग चाहे कहीं भी हो वह हमारे धर्म का अनुभव करें जो है शांति, शांति, शांति।’
इससे पहले शुक्रवार को इसी सम्मेलन में करीब 2,500 लोगों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि हिन्दू समाज में प्रतिभावान लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। हिन्दू सिद्धांत से प्रेरित अपने संबोधन में भागवत ने कहा, ‘लेकिन वे कभी साथ नहीं आते हैं। हिन्दुओं का साथ आना अपने आप में मुश्किल है।’ उन्होंने कहा कि हिन्दू हजारों वर्षों से प्रताड़ित हो रहे हैं क्योंकि वे अपने मूल सिद्धांतों का पालन करना और आध्यात्मिकता को भूल गये हैं। सभी लोगों के साथ आने पर जोर देते हुए भागवत ने कहा कि हमें साथ आना होगा।