प्रति वर्ष लाखों मुकद्दमे दर्ज होते हैं जिनमें से अनेक आपराधिक प्रकृति के होते हैं। इनके अलावा असंख्य केस वर्षों से लम्बित हैं। भारत में वकालत का पेशा हमेशा से युवाओं को आकर्षित करता रहा है जिसमें उज्ज्वल भविष्य के साथ-साथ उच्च स्तर की प्रतिष्ठा भी जुड़ी है। वकालत के भी अनेक उपक्षेत्र हैं जिनमें विशेषज्ञता हासिल करके उत्तम करियर बनाया जा सकता है और आपराधिक केसों में विशेषज्ञता वाला क्रिमिनल लॉ भी इनमें शामिल है। इस क्षेत्र में काम करने वालों के पास खूब नाम कमाने तथा भविष्य संवारने के असीमित मौके होते हैं।
कार्यक्षेत्र
एक क्रिमिनल लॉयर विभिन्न प्रकार के आपराधिक मुकद्दमों की पीड़ित अथवा दोषी पक्ष की ओर से पैरवी करता है। भारतीय दंड संहिता यानी द इंडियन पीनल कोड (आई.पी.सी.) इंसानों के विरुद्ध किए गए विभिन्न अपराधों (हत्या, अपहरण आदि), सम्पत्ति संबंधी अपराधों (चोरी, डाका आदि) तथा अन्य प्रकार के अपराधों की व्याख्या करता है। एक क्रिमिनल लॉयर किसी आपराधिक मुकद्दमे में किसी अपराध के लिए बनाए गए दोषी को सजा दिलवाने या उसका बचाव करने की जिम्मेदारी निभाता है।
केस की पैरवी करने, सबूत तैयार करने तथा कानून लागू करवाने वाले कर्मियों एवं अधिकारियों यानी पुलिस द्वारा संबंधित केस में की जा रही जांच के आकलन के काम क्रिमिनल लॉयर ही निभाते हैं। कई बार उन्हें गवाहों से बातचीत करके या अपराध के घटनास्थल पर जाकर अपने स्तर पर भी पड़ताल करनी पड़ सकती है।
योग्यता
क्रिमिनल लॉयर बनने के इच्छुक युवाओं को किसी भी विषय में 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात कॉमन लॉ एडमिशन टैस्ट (सी.एल.ए.टी.) या कुछ संस्थानों द्वारा अपने यहां दाखिला देने के लिए अपने स्तर पर लिए जाने वाली प्रवेश परीक्षाओं को पास करना होगा। इसके आधार पर वे 5 वर्षीय बी.ए.-एलएल.बी. कोर्स में दाखिला प्राप्त कर सकते हैं। दूसरे विकल्प के रूप में ग्रैजुएशन के पश्चात 3 वर्षीय एलएल.बी. कोर्स में दाखिला ले सकते हैं जो देश के अनेक शैक्षणिक संस्थानों में करवाया जाता है। इस कोर्स में दाखिला भी प्रवेश परीक्षा के आधार पर ही दिया जाता है।
कौशल
सफलता के लिए एक क्रिमिनल लॉयर में बेहतरीन सम्प्रेषण कौशल होना आवश्यक योग्यता है। उन्हें तुरंत प्रतिक्रिया देने में भी सक्षम होना चाहिए। खुली तथा लचीली सोच के साथ उनमें नेतृत्व कौशल भी कूट-कूट कर भरा होना लाजमी है। इन सबके साथ उनमें धैर्य की कमी भी नहीं होनी चाहिए तभी वे इस क्षेत्र में सफलता दर्ज कर सकते हैं। उनका बेहद निडर होना भी जरूरी है क्योंकि इस क्षेत्र में केस लड़ते हुए आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से अक्सर मिलना पड़ सकता है और कई वकीलों को अपराधियों की धमकियों तथा हमलों का सामना भी करना पड़ सकता है। ऐसे में उन्हें बहादुरी से हर प्रकार की चुनौती से निपटने के लिए खुद को तैयार रखना होता है।
पारिश्रमिक
शुरूआत में एंट्री लैवल में काम करने वाले (5 वर्ष तक अनुभव वाले वकीलों को) आम क्रिमिनल लॉयर बहुत आय की आशा नहीं कर सकते हैं। इस दौरान उन्हें 5 से 10 हजार रुपए प्रतिमाह तक ही मिलते हैं परंतु इस क्षेत्र में अनुभव हासिल करने तथा अपना नाम स्थापित करने के बाद वे शानदार असीमित आय प्राप्त कर सकते हैं। इस क्षेत्र में आय एक क्रिमिनल लॉयर की सफलता, उसकी व्यक्तिगत प्रतिभा तथा लगन पर निर्भर करती है।
प्रमुख संस्थान:-
-डिपार्टमैंट ऑफ लॉज, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़
-डिपार्टमैंट ऑफ पंजाब स्कूल ऑफ लॉ, पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला, पंजाब
-फैकल्टी ऑफ लॉ, गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर, पंजाब
-दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली