भारत का नाम अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में विश्व के उन चंद गिने−चुने देशों में शामिल है जिनके स्वदेशी क्षमता से बने उपग्रह अंतरिक्ष में चक्कर काट रहे हैं। इसके साथ ही अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने दुनिया से एक कदम आगे बढ़ाते हुए दूसरे देशों को अपनी प्रतिभा बेचना शुरू भी कर दिया है। ऐसे में इस क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त अवसर बने हैं। दरअसल भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में थोड़े समय में जो उपलब्धियां हासिल की हैं वह बेमिसाल हैं।
आज भारत का इनसेट, संचार, मौसम विज्ञान और प्राकृतिक आपदा संबंधी पूर्वानुमान लगाने की अनोखी क्षमता रखता है। आज इस तकनीकी पर दुनिया के कई देश निर्भर हैं। भारत में अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित तमाम गतिविधियों का संचालन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन करता है। जिसका मूल उद्देश्य विभिन्न उपयोगों के लिए उपग्रह संचार प्रणाली कायम करना है। इसका कार्य उपग्रह आधारित प्रबंधन और पर्यावरण निगरानी व्यवस्था उपलब्ध करवाना, मौसम विज्ञान संबंधी और प्राकृतिक आपदाओं की चेतावनी देने वाली प्रणाली स्थापित करना है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में कॅरियर बनाने के इच्छुक अभ्यर्थी के लिए इस क्षेत्र में कई दरवाजे खुले हैं। जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग इंस्टमेटेंशन, कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी, एयर कंडीशनिंग और इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग हैं। अंतरिक्ष विज्ञान के डिप्लोमा या सर्टिफिकेट पाठ्यक्रमों में विज्ञान के छात्र ही प्रवेश ले सकते हैं। साथ ही स्तानक में कम से कम 60 प्रतिशत अंक होने जरूरी हैं। इस पाठ्यक्रम के लिए फिजिक्स और केमेस्ट्री के छात्रों को वरीयता दी जाती है।
इस पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन हर साल संयुक्त परीक्षा का आयोजन करता है। इसकी परीक्षा दिल्ली, बैंगलौर, आंध्र प्रदेश और अहमदाबाद में होती है। परीक्षा का आयोजन सिर्फ अंग्रेजी माध्यम से किया जाता है। परीक्षा में बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके अलावा कुछ प्रश्न क्रिएटिव भी होते हैं। इस परीक्षा में सफल उम्मीदवार को सीधा दाखिला मिल जाता है। इस क्षेत्र में जहां तक नौकरी मिलने का सवाल है तो पाठ्यक्रम सफलतापूर्वक पूरा करने वाले अभ्र्यथी के भाग्य का दरवाजा खुद ब खुद खुल जाता है।
अंतरिक्ष विभाग और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्रों के अलावा कुछ भारतीय उद्योगों में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, वायुमंडलीय विज्ञान, रासायनिक इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी, नियंत्रण प्रणाली, पावर सिस्टम सुदूर संवेदन में रोजगार प्राप्त किया जा सकता है। इन सभी पदों के लिए अभ्यर्थी को एमएससी, बीई बीटेक, एमई, एमटेक या पीएचडी होना आवश्यक है।
वैज्ञानिक इंजीनियर अपनी क्षमताओं और दक्षता के अनुसार समय के साथ−साथ विभिन्न केन्द्रों या निकायों में प्रोजेक्ट मैनेजर, परियोजना निदेशक बन सकते हैं। इन संस्थानों में अंतरिक्ष विज्ञान पाठ्यक्रम में पढ़ाई की जा सकती है…
-प्रशिक्षण संस्थान भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद।
-अंतरिक्ष भौतिक प्रयोगशाला, तिरूअनंतपुरम।
-अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, अहमदाबाद।
-इसरो उपग्रह केंद्र, बैंगलौर।
-राष्ट्रीय स्ट्रैटोस्फीयर ट्रोपोस्फीयर रडार सुविधा गंडकी, तिरूपति।