मटीरियल मैनेजमेंट का संबंध किसी भी संस्था की मटीरियल संबंधी सभी गतिविधियों सेहोता है। दूसरे शब्दों में कहें तो एक मटीरियल मैनेजर कंपनी का पॉवर हाउस होता है। बड़ी कंपनियों में करोड़ों के मटीरियल की खरीद की जिम्मेदारी इन्हीं पर होती है। यही वजह है कि मटीरियल मैनेजमेंट डिपार्टमेंट को कंपनियां एक ऐसे प्रॉफिट सेंटर के रूप में देखती हैं, जो ऑर्गनाइजेशन की लागत कम करने और लाभदायकता बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाता है। मटीरियल मैनेजमेंट में विभिन्न तरह की एजुकेशनल क्वालफिकेशन रखने वाले कैंडिडेट्स का शुरुआती पैकेज 3 से 8 लाख रुपए सालाना हो सकता है।
अवसर
मटीरियल मैनेजर्स की मांग न सिर्फ निजी क्षेत्रों में बल्कि सरकारी क्षेत्रों मेंभी बढ़ रही है। इनकी नियुक्ति मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल के अलावा फार्मास्यूटिकल, एफएमसीजी, डिफेंस, रेलवे, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के पर्चेज, स्टोरेज और सप्लाय विभागों में की जाती है। इन्हें बड़े उद्योगों, कॉर्पोरेट हाउसेज, सप्लाय चेन इंडस्ट्रीज में भी रोजगार केआकर्षक अवसर दिए जाते हैं।
वेतन
डिप्लोमा या पीजी डिप्लोमा के साथ आप 3 लाख रुपए प्रतिवर्ष से शुरुआत कर सकते हैं। वहीं, मटीरियल मैनेजमेंट में एमबीए के साथ शुरुआत 8 लाख प्रतिवर्ष हो सकती है।
जरूरी स्किल्स…
-बेहतरीन ऑर्गनाइजेशनल और कम्यूनिकेशन स्किल्स
-निर्णय लेने की क्षमता
-मार्केट पर अच्छी पकड़ रखने वाला टीम लीडर
-टेक्नोलॉजी की समझ
योग्यता…
ग्रैजुएट डिप्लोमा इन मटीरियल मैनेजमेंट या पीजी डिप्लोमा इन मटीरियल मैनेजमेंट या एमबीए इन मटीरियल मैनेजमेंट जैसे कोर्सेज के लिए ग्रैजुशन जरूरी है।
कहां से करें पढ़ाई…
-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मटीरियल्स मैनेजमेंट
-इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ लॉजिस्टिक्स एंड मटीरियल मैनेजमेंट
-इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी