आमतौर पर यह एक गलत धारणा है कि यूनिवर्सिटी प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी एक ट्रेनिंग आधारित स्टडी मोड्यूल है. हां! यह कुछ हद तक सही विचार है लेकिन, पीएचडी का क्षेत्र एकेडमिक क्षेत्र से कहीं आगे तक व्याप्त है. जो लोग पीएचडी की डिग्री प्राप्त करते हैं, उनकी तुलना में कम लोग एकेडमिक क्षेत्र ज्वाइन करते हैं. भारत सहित अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य देशों में रोज़गार का परिदृश्य बड़ी तेज़ी से बदल रहा है. इस वजह से पीएचडी स्टूडेंट्स भी एकेडमिक क्षेत्र ज्वाइन करने के अपने उद्देश्य के बारे में अच्छी तरह सोचने पर मजबूर हो गये हैं. आजकल, पीएचडी ग्रेजुएट्स राइटिंग, रिसर्च, इंवेस्टमेंट बैंकिंग, लॉ और अन्य कई संबद्ध क्षेत्रों में विभिन्न विकल्पों की तलाश कर रहे हैं.
अपनी डिग्री पर केवल “डॉक्टर” की रबड़ लगी होने पर गर्व महसूस करने से आपको कोई बढ़िया जॉब नहीं मिलेगी. यह बहुत अच्छी बात है कि आप एक पीएचडी ग्रेजुएट हैं. हालांकि, पीएचडी सिर्फ डिग्री की तुलना में कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें ट्रेनिंग और नॉलेज पर आधारित रिसर्च एक्टिविटीज को ज्यादा महत्व दिया जाता है. पीएचडी में रिसर्च इश्यूज की बेहतरीन समझ के साथ ही गहन रिसर्च कार्य और अति विशेष एनालिटिकल और ऑब्जरवेशनल स्किल्स के साथ महत्वपूर्ण समस्याओं को सॉल्व करने की काबिलियत शामिल है. किसी पीएचडी ग्रेजुएट को कई घंटे लगातार काम करना, जटिल समस्याओं को एनालाइज और सॉल्व करना और शांति से हरेक परिस्थिति को हैंडल करना जरुर सीखना चाहिए. ये गुण न केवल किसी एकेडेमिक एक्सपर्ट के लिए बहुत जरुरी हैं बल्कि, रिसर्च, फाइनेंस और पब्लिक सर्विस जैसे अन्य कार्यक्षेत्रों के लिए भी अनिवार्य हैं.
आमतौर पर, पीएचडी करने के बाद सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली जॉब्स हैं-यूनिवर्सिटी प्रोफेसर, इंडस्ट्रियल आर एंड डी लैब प्रोफेशनल्स और स्टार्ट-अप्स मेंटर्स. इंडस्ट्रियल रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन्स में समर्पित पीएचडी ग्रुप्स होते हैं जो रिसर्च एक्टिविटीज और नये प्रोडक्ट्स की डिजाइनिंग का कार्य करने के साथ ही महत्वपूर्ण रणनीतिक बैठकों में शामिल होते हैं. डेवलपमेंट सेंटर्स की तुलना में, इंडस्ट्रियल आर एंड डी लेब्स की एवरेज सैलरीज काफी अच्छी होती हैं. इससे साफ पता चलता है कि 5 वर्ष के अनुभव सहित एक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट को इंडस्ट्रियल आर एंड डी लेब्स में अभी जॉब ज्वाइन करने वाले किसी फ्रेश पीएचडी ग्रेजुएट की तुलना में कम सैलरी मिलती है.
कुछ मामलों में, डेवलपमेंट सेंटर्स विभिन्न कार्यों के लिए पीएचडी ग्रेजुएट्स को हायर करते हैं लेकिन, उनकी सैलरी विशेष आर एंड डी की तुलना में समान या कुछ अधिक होती है. किसी रिसर्च लैब या डेवलपमेंट सेंटर ज्वाइन करने वाले पीएचडी ग्रेजुएट का सैलरी स्ट्रक्चर और डेजिग्नेशन हमेशा किसी अन्य ग्रेजुएट से ज्यादा हाई होते हैं फिर भले ही अन्य ग्रेजुएट्स के पास काफी अच्छा कार्य अनुभव हो.
स्टार्ट-अप्स की शुरुआत ने पूरे पीएचडी परिवेश को बदल दिया है. कुछ समय पहले तक, पीएचडी का कार्यक्षेत्र सिर्फ एकेडमिक क्षेत्र तक ही सीमित था. यद्यपि आजकल, एकेडमिक क्षेत्र और स्टार्ट-अप्स के मिश्रण से पीएचडी ग्रेजुएट्स को कई नये ऑप्शन्स मिल गये हैं. अब, क्योंकि स्टार्ट-अप्स इनोवेशन और इम्प्रोवाइजेशन का स्टोरहाउस बन चुके हैं तो पीएचडी ग्रेजुएट्स किसी नये और उभरते हुए संगठन में काम करना चाहते हैं ताकि अपनी एक्सेप्शनल रिसर्च एंड डेवलपमेंट क्षमताओं के माध्यम से नये प्रोडक्ट्स को डिज़ाइन करने के लिए वे अपने नॉलेज बेस्ड स्किल्स का उपयोग कर सकें. आजकल, पीएचडी ग्रेजुएट्स स्टार-अप परिवेश में काम तलाश रहे हैं ताकि उन्हें अच्छा कार्य-अनुभव प्राप्त हो जाए और फिर, वे एकेडमिक क्षेत्र ज्वाइन कर लें, जहां पर वे अपने स्किल्स और विशेषज्ञता का प्रोडक्टिव तरीके से उपयोग कर सकें.
एकेडमिक क्षेत्र पीएचडी ग्रेजुएट्स की पहली पसंद बन चूका हैं क्योंकि यहां उन्हें काम करने की पूरी आजादी के साथ बहुत बढ़िया सैलरी पैकेज मिलते हैं. अधिकांश मामलों में, एकेडमिक क्षेत्र की जॉब्स के तहत कई अन्य लाभ जैसे फ्री एकोमोडेशन भी शामिल होते हैं. पीएचडी ग्रेजुएट्स के लिए इस बात का भी चांस होता है कि वे किसी अन्य देश में काम करें. कुल मिलाकर, पीएचडी कैंडिडेट्स को हायर करते समय अधिकांश संगठन अक्सर अपने भावी कैंडिडेट्स के सुपीरियर एनालिटिकल स्किल्स और जटिल समस्याओं को तुरंत सॉल्व करने की काबिलियत देखते हैं.