कुदरत बचाओ, कैरियर बनाओ

asiakhabar.com | March 21, 2023 | 6:24 pm IST
View Details

पर्यावरण सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। कुदरत को बचाने की इस मुहिम के परिणामस्वरूप ग्रीन जॉब्स का एक बड़ा मार्केट खड़ा हो रहा है, जहां पे-पैकेज भी अच्छा है। क्या हैं ग्रीन जॉब्स और कैसे पा सकते हैं आप यहां एंट्री, बता रही हैं, शाश्वती।
एक जमाना था जब छात्रों की प्राथमिकता की सूची में सबसे अंत में आता था पर्यावरण विज्ञान यानी इनवायर्नमेंटल साइंस। लेकिन अब इस सूची में यह ऊपर की ओर कदम बढ़ा रहा है। जलवायु परिवर्तन और उससे होने वाले खतरों के विषय में लगातार बढ़ रही जागरूकता और पार्यावरण को बचाने के लिए विश्व के विभिन्न हिस्सों में चल रहे आंदोलनों के कारण अब छात्रों के बीच विषय के रूप में पर्यावरण विज्ञान की लोकप्रियता बढने लगी है।
पर्यावरण विज्ञान के प्रति छात्रों की बढ़ रही रुचि का एक कारण यह भी है कि अब पर्यावरण से जुड़े फील्ड में नौकरी की संभावना भी काफी तेजी से बढ़ रही है। पर्यावरण के क्षेत्र से जुड़ी इन नौकरियों को ग्रीन जॉब्स का नाम दिया गया है। ग्रीन जॉब्स के क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों की मांग कितनी तेजी से बढ़ रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सितंबर, 2009 में दिल्ली में देश के पहले ग्रीन जॉब्स फेयर का आयोजन किया गया था। इस नौकरी मेले में देश-विदेश की 25 से ज्यादा कंपनियों ने भाग लिया था।
क्या है ग्रीन जॉब्स
पर, आखिर ग्रीन जॉब्स हैं क्या और ग्रीन जॉब्स की श्रेणी में कौन-सी नौकरियों को रखा गया है? पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली मुंबई स्थिति एनजीओ दी क्लाइमेट प्रोजेक्ट इंडिया के डायरेक्टर गौरव गुप्ता के अनुसार, ग्रीन जॉब्स, कार्य की ऐसी विधियां हैं, जहां पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान में रखते हुए वस्तुओं का उत्पादन और उसका उपयोग किया जाता है।
बिजली की बचत और सौर तथा पवन ऊर्जा आदि अधिक-से अधिक इस्तेमाल करने वाली बिल्डिंग का निर्माण करने वाला आर्किटेक्ट, वॉटर रीसाइकल सिस्टम लगाने वाला प्लंबर, विभिन्न कंपनियों में पर्यावरण के संरक्षण से संबंधित शोध कार्य और सलाह देने वाले लोग, ऊर्जा की खपत कम करने की दिशा में काम करने वाले विशेषज्ञ, पारिस्थितिकी तंत्र व जैव विविधता को कायम करने के गुर सिखाने वाले विशेषज्ञ, प्रदूषण की मात्रा और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के तरीके बताने वाले एक्सपर्ट आदि के काम ग्रीन जॉब्स की श्रेणी में आते हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले वक्त में हर नौकरी में यह क्षमता होगी कि वह ग्रीन जॉब में तब्दील हो सके। इस सेक्टर में धीरे-धीरे विस्तार हो रहा है और साथ ही साथ नौकरी की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं। यह सेक्टर प्रशिक्षित लोगों की मांग करता है और बदले में अच्छी सैलरी देता है। कई विशेषज्ञों की यह भी राय है कि जिस तरह सूचना और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक जमाने में भारी उछाल आया था, वैसा ही आने वाले वक्त में ग्रीन जॉब्स के क्षेत्र में होगा।
भारत तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ रहा है। हमारे यहां नए भवनों का निर्माण हो रहा है और ऊर्जा की मांग भी बढ़ रही है। आनेवाले समय में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में नियम-कायदे और भी स्पष्टड्ढ व कड़े होंगे और पर्यावरण सुरक्षा के साथ-साथ विकास के फॉर्मूले को हर जगह मान्यता मिलेगी। अन्य क्षेत्रों के अलावा कृषि के क्षेत्र में भी भारतीय और विदेशी कंपनियां भारत में रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना कर रही हैं।
कृषि उत्पादन बढ़ाने और पारिस्थितिकी तंत्र को कम-से-कम नुकसान पहुंचाने की दिशा में लगातार शोध कार्य और निवेश हो रहे हैं। हर साल सिर्फ इन मांगों को पूरा करने के लिए 5000 प्रशिक्षित लोगों की जरूरत होगी। आनेवाले समय में देश के सभी छह लाख गांवों को पानी और कचरा प्रबंधक की जरूरत होगी और इस जरूरत को पूरा करने के लिए 1.2 करोड़ प्रशिक्षित लोगों की जरूरत होगी। आप अगर ग्रीन जॉब्स कर रहे हैं, तो इसका मतलब यह है कि आप नौकरी के साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
कैसे करें शुरुआत
सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश के आधार पर यूजीसी ने ग्रेजुएशन के स्तर पर इनवायर्नमेंटल स्टडीज को अनिवार्य बना दिया है। स्कूल और टेक्निकल पाठ्यक्रमों के स्तर पर यह जिम्मेदारी क्रमशः एनसीईआरटी और एआईसीटीई को सौंपी गई है। पर्यावरण विज्ञान बेसिक साइंस और सोशल साइंस दोनों का मिश्रित रूप है। रिसोर्स मैनेजमेंट और रिसोर्स टेक्नोलॉजी भी पर्यावरण विज्ञान का एक महत्वपूर्ण अंग है। पर्यावरण से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में अपना कैरियर बनाने के लिए पढ़ाई बारहवीं के बाद शुरू की जा सकती है, पर इस स्तर पर संस्थानों की संख्या कम है।
ग्रीन जॉब्स के क्षेत्र में बेहतर कैरियर बनाने के लिए पर्यावरण विज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त करना आपके भविष्य के लिए अच्छा होगा। पर्यावरण से संबंधित नीतियों के निर्माण दिलचस्पी रखने वाले साधारण ग्रेजुएट के लिए भी यहां मौके हैं। जीव विज्ञान के साथ बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र ग्रेजुएशन के स्तर पर इनवायर्नमेंटल साइंस की पढ़ाई कर सकते हैं। फिजिकल साइंस, लाइफ साइंस, इंजीनियङ्क्षरग या मेडिकल साइंस आदि विज्ञान विषयों से ग्रेजुएशन करने के बाद इनवायर्नमेंटल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन करना बेहतर होगा। इनवायर्नमेंटल साइंस में बीटेक का कोर्स भी कई संस्थानों में उपलब्ध है।
सेंटर फॉर साइंस ऐंड इनवायर्नमेंट, दिल्ली में पर्यावरण विज्ञान से जुड़े विषयों में इंटर्नशिप और सर्टिफिकेट कोर्स करवाया जाता है। देश में पर्यावरण विज्ञान को समर्पित दिल्ली स्थित एकमात्र संस्थान दी एनर्जी ऐंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट यानी टेरी में इनवायर्नमेंटल साइंस से संबंधित विषयों में पोस्ट-ग्रेजुएट और डॉक्टेरल स्तर के पाठ्यक्रमों की पढ़ाई होती है। टेरी पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में स्कॉलरशिप भी देती है। इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स, धनबाद में इनवायर्नमेंटल इंजीनियङ्क्षरग में बी-टेक की पढ़ाई होती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम ऐंड एनर्जी स्टडीज, देहरादून में इनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग में बीई का कोर्स उपलब्ध है। इग्नू में इनवायर्नमेंटल स्टडीज में छह माह का सर्टीफिकेट कोर्स उपलब्ध है। इसके अलावा कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ट्रेनिंग दे रही हैं। इनमें अल्मोड़ा स्थित गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान, देहरादून स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च ऐंड एजूकेशन, इलाहाबाद स्थित सेंटर फॉर सोशियल फॉरेस्ट्री ऐंड इको-रीहैबिलिटेशन, बैंगलूरु स्थित सेंटर फॉर इनवायर्नमेंटल एजूकेशन और चेन्नई स्थित सीपीआई इनवायर्नमेंटल एजूकेशन प्रमुख हैं।
इनवायर्नमेंटल साइंस में पोस्ट-ग्रेजुएशन के बाद विकल्पों की भरमार है। सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में इनवायर्नमेंटल बायोलॉजिस्ट, इनवायर्नमेंटल ऑफिसर, इनवायर्नमेंटल मैनेजर, इनवायर्नमेंटल साइंटिस्ट, इनवायर्नमेंटल कंसल्टेंट, इनवायर्नमेंटल एक्सटेंशन ऑफिसर, इनवायर्नमेंटल लॉ ऑफिसर आदि पद उपलब्ध हैं। वर्तमान समय में प्रशिक्षित इनवायर्नमेंटलिस्ट की देश-विदेश में काफी मांग है। हर राज्य में पॉल्यूशन कंट्रोल और इनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन बोर्ड होता है। इनवायर्नमेंटल साइंस में कोई भी पोस्ट ग्रेजुएट इनवायर्नमेंटल ऑफिसर और सीनियर इनवायर्नमेंटल ऑफिसर के पद के लिए आवेदन कर सकता है। प्राइवेट सेक्टर में भी शुगर मिल, खाद की फैक्ट्री, चावल मिल, आटा मिल, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री और सिमेंट फैक्ट्री आदि में आपके लिए ग्रीन जॉब्स के मौके हैं। पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में छात्रों को प्रशिक्षित करने के लिए स्कूल और कॉलेज के स्तर पर शिक्षकों की भी जरूरत होगी।
कहां होती है पढ़ाई…
-स्कूल ऑफ इनवायर्नमेंटल साइंस, जेएनयू, नई दिल्ली
-दी एनर्जी ऐंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (टेरी), नई दिल्ली
-सेंटर फॉर इकोलॉजिकल साइंसेज, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलूरु
-डिपार्टमेंट ऑफ इनवायर्नमेंटल साइंसेज, श्रीनगर, गढ़वाल
-डिपार्टमेंट ऑफ इनवायर्नमेंटल बायोलॉजी, यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली
-स्कूल ऑफ इनवायर्नमेंटल साइंसेज, रायबरेली रोड, लखनऊ
-डिपार्टमेंट ऑफ इनवायर्नमेंटल साइंसेज, जंभेश्वर यूनिवर्सिटी, हिसार
-इग्नू, नई दिल्ली
-संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा करवाए गए एक सर्वे के अनुसार 2025 तक भारत में जैव ईंधन निर्माण के क्षेत्र में 900, 000 नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।
-इसमें से 300, 000 नौकरियां स्टोव निर्माण के क्षेत्र में उत्पन्न होंगी।
-लगभग 600, 000 से ज्यादा लोगों को ईंधन आपूर्ति और इससे जुड़े अन्य क्षेत्रों में नौकरियां मिलेंगी।
-पर्यावरण और उससे जुड़े प्रोडक्ट और सेवाओं का वैश्विक बाजार 2020 तक वर्तमान के 1, 370 अरब डॉलर से बढ़कर 2, 740 अरब डॉलर का हो जाएगा।
हर सेक्टर में होगा ग्रीन जॉब्स का निर्माण
पर्यावरण के प्रति लोगों की बढ़ रही जागरूकता और उसे अब तक पहुंचाए गए नुकसान के प्रभाव को महसूस करने के बाद यह तय है कि आने वाले वक्त में विश्व के सभी देशों की सरकारें और उद्योग-जगत अपनी नीतियों और कार्यशैली को पर्यावरण के अनुकूल रखने की कोशिश करेंगे। सरकार और उद्योगों की नीति में धीरे-धीरे आ रहे इन बदलावों का परिणाम यह होगा कि अमूमन हर सेक्टर में ग्रीन जॉब्स का निर्माण होगा। ग्रीन जॉब्स की अवधारणा सिर्फ सौर ऊर्जा या पवन ऊर्जा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह डेवलपमेंटल सेक्टर, कंसल्टेंसी से लेकर सीमेंट कंपनी आदि से भी जुड़ी हुई है। मतलब, ग्रीन जॉब्स को सिर्फ पर्यावरण से जोड़कर देखने की जगह उसे समग्र रूप से और अन्य विषयों से जोड़कर भी देखने की जरूरत है। आने वाले वक्त में कोई भी सेक्टर ऐसा नहीं होगा, जहां ग्रीन जॉब्स के अवसर न हों। ग्रीन जॉब्स के क्षेत्र में विज्ञान विषयों के छात्रों को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है, पर कला विषयों से स्नातक छात्र भी इनवायर्नमेंटल सांइस से जुड़े विषयों की पढ़ाई कर रहे हैं। यहां कैरियर बनाने के लिए मैथ्स की थोड़ी-बहुत जानकारी भी जरूरी है। ग्रीन जॉब्स के क्षेत्र में बेहतरीन काम के साथ सैलरी भी अच्छी है। टेरी से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों को औसतन चार से साढ़े चार लाख सालाना आय वाली नौकरियां मिल जाती हैं।
(डॉ. राजीव सेठ रजिस्ट्रार, टेरी यूनिवर्सिटी)
ग्रीन जॉब्स के प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी
इनवायर्नमेंटल साइंस और इससे जुड़ी नौकरियों के प्रति भारत में जागरूकता का स्तर अभी काफी कम है। पहली समस्या तो यह है कि छात्र जब किसी कोर्स का चुनाव करते हैं, तो उस दौरान वे किसी सेक्टर विशेष पर अपना ध्यान नहीं केंद्रित करते। दूसरी समस्या यह है कि भारत में इनवायर्नमेंटल साइंस की विशेषतौर पर पढ़ाई कराने वाले संस्थान और इस विषय को पढने वाले छात्र, दोनों की संख्या कम है। आनेवाले वक्त में पर्यावरण के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों की मांग में बड़ी संख्या में इजाफा होगा। ये नौकरियां नीति निर्माण, ठोस कचरा प्रबंधन, इलेक्ट्रॉनिक कचरा प्रबंधन, इकोटूरिज्म, इनवायर्नमेंटल एजूकेशन, इनवायर्नमेंटल जर्नलिज्म, इनवायर्नमेंटल सुरक्षा और शोध आदि क्षेत्रों में विभिन्न स्तरों पर उपलब्ध होंगी। निर्माण उद्योग में भी पर्यावरण से जुड़े विशेषज्ञों की डिमांड बढ़ेगी। ग्रीन बिल्डिंग्स बनाने का चलन तो तेज होने लगा है और यहां भी पर्यावरण से जुड़े एक्सपर्ट की मांग है। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज यानी सीआईआई ने पिछले आठ सालों में ग्रीन जॉब्स की विचारधारा पर आधारित छह से सात हजार नौकरियों का निर्माण किया है। ग्रीन ऑर्किटेक्चर, कॉरपोरेट कंपनियों को सलाह देने आदि से जुड़े कई पदों का निर्माण पिछले कुछ सालों में हुआ है। आयन एक्सचेंज इंडिया पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं के समाधान की दिशा में पिछले चार दशक से काम करने वाली भारत की सबसे बड़ी कंपनी है। यहां कचरा प्रबंधन, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण आदि क्षेत्रों का काम होता है। ग्रीन जॉब्स की आपकी खोज इन संस्थानों में पूरी हो सकती है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *