बिल भरने हैं तो ऑनलाइन पेमेंट। ग्रॉसरी खरीदनी है तो ऑनलाइन ऑर्डर। पैरेंटिंग के टिप्स इंटरनेट पर। कम समय में स्मार्ट कुकिंग। रेसिपी की जानकारियां ब्लॉग और वेबसाइट्स पर। पेंडिंग कामों की लिस्ट फोन पर। कैमरों की मार्फत घर भर पर नजर। आज की स्मार्ट युवतियों केलिए तो टेक्नोलॉजी जैसे अलादीन का चिराग है। ट्राई किया और सॉल्यूशन सामने। कोई मुश्किल नहीं, कोई हिचकिचाहट नहीं। तभी तो वे कहलाने लगी हैं स्मार्ट होम की स्मार्ट मैनेजर…
मॉम मैंने आज बिरियानी बनाई, घर में सभी को पसंद आई। सब बहुत तारीफ कर रहे थे…। हाल ही में शादी के बाद ससुराल में रह रही अपनी बेटी ईशा की चहकती आवाज सुनकर अमृता के कानों में जैसे शहद घुल गया। वह सोचने लगीं कि ईशा को तो किचन में काम करने की बिल्कुल आदत नहीं है। हॉस्टल में रहने और हर वक्त पढ़ाई के दबाव में वह किचन का कोई काम कहां सीख पाई थी। फिर उसने कठिन बिरियानी कैसे बनाई होगी। इसी सोच के साथ उन्होंने सवाल किया, तुम्हें बिरियानी बनाना किसने सिखाया? तुम्हें बिरियानी बनाने का तरीका भी पता है? जवाब मिला, ओह मॉम, आप भी…, मैंने फोन पर रेसिपी खोल ली थी, उसे साथ में रखा और जैसे उसमें लिखा था, वैसे बनाती गई और अच्छी बिरियानी तैयार हो गई। घर में सभी को उसका स्वाद अच्छा लगा।
ऑफिस में हिट, किचन में फिट: अमृता जी को लगा कि बेटी उनसे ज्यादा सयानी हो गई है। वह बेकार ही सालों तक चिंता में घुलती रहीं कि ईशा ने किचन में इंट्रेस्ट नहीं लिया, पता नहीं ससुराल में क्या करेगी? लेकिन उनकी इंजीनियर बेटी ऑफिस में भी हिट है और घर के किचन में भी फिट है। ऑफिस में उसकी रेटिंग एक्सीलेंट है और घर का हर सदस्य भी उसके व्यवहार और काम करने के तरीके की तारीफ करता है। उन्हें गर्व महसूस हुआ अपनी बेटी पर। वह जान गईं कि आज की स्मार्ट लड़कियों को पता है कि कौन सी चीज कहां, कब और कैसे इस्तेमाल करनी है। आज ईशा जैसी स्मार्ट लड़कियां टेक्नोलॉजी और कम्युनिकेशन रिवॉल्यूशन का फायदा स्मार्ट होम मैनेजमेंट के लिए कर रही हैं। वे घर के कामों को कम टाइम में बेहतर तरीके से मैनेज कर रही हैं। मां की मोटी रेसिपी डायरी या छपी किताबों की जगह ब्लॉग, वेबसाइट और सोशल साइट्स ने ले ली है। इन पर ढेरों जानकारियां हैं और वे इसका बुद्धिमानी से फायदा उठा रही हैं।
पैरेंटिंग भी हो गई स्मार्ट: राधिका इधर आओ, मैंने तुम्हारा चूचू टीवी लगा दिया है। तुम यहां बेड पर बैठो और दूर से टीवी देखो। अपनी दो साल की बच्ची को बिजी करने और अपने सारे काम निपटा लेने की गरज से अरुणिमा ने घर के स्मार्ट टीवी को वाई-फाई से कनेक्ट कर दिया और यू-ट्यूब चैनल लगा दिया। राधिका बिजी हो गई। टीवी पर वीडियो देखने में भी मगन हो जाती है राधिका, लेकिन नजदीक से देखने के कारण उसकी आंखों पर होने वाले बुरे असर को कम कर लेने के लिए अरुणिमा ने स्मार्ट तरीका निकाला है। अपने मनपसंद कार्टून कैरेक्टर देखकर या पोयट्री सुनकर राधिका शरारत करना भूल गई और उसे सेफ तरीके से बिठाकर अरुणिमा ने झट से अपने काम निपटा लिए। कहती हैं अरुणिमा, छोटा बच्चा हो और घर का ढेर सारा काम हो तो कुछ न कुछ उपाय तो निकालना ही पड़ेगा। मैं अकेले उसे कैसे हैंडल करूं? जो वह मोबाइल पर देखना चाहती है, वही चीजें मैं उसे स्मार्ट टीवी पर दिखा देती हूं। डिस्टेंस रखती हूं उसके और टीवी के बीच में। अगर वह घंटा भर भी बैठ जाती है तो मेरा बहुत काम हो जाता है और वह नई-नई पोयट्री सीख जाती है।
सब डिजिटल है: अचानक मेहमान घर पर आ जाएं तो हाथ-पैर नहीं फूलते कशिश के। वह झट से ऐसा मेनू बनाती हैं जिसमें उनके बनाए घर के आइटम के साथ होम डिलीवरी पर मंगा सकने वाली रेडिमेड चीजें भी होती हैं। सेलेक्शन में इंटरनेट भी मदद करता है। जब तक उनका ऑर्डर किया सामान आता है तब तक वह घर के स्मार्ट गैजेट्स की मदद से कुकिंग कर लेती हैं और मेहमान की खातिरदारी की तैयारी पूरी हो जाती है। घर का सामान, सब्जियां, यहां तक कि सास-ससुर की दवाइयां तक वह होम डिलीवरी से मैनेज कर लेती हैं। इससे बाजारों के चक्कर तो बचते ही हैं। साथ में समय की बचत भी हो जाती है। कहती हैं कशिश, सब्जी मंडी जाने, मोल-भाव करने और सब्जियां छांटने में ही टाइम लगाने का मुझे तो कोई शौक नहीं है। होम डिलीवरी ले लेती हूं तो थकान नहीं होती और समय खराब नहीं होता। हमारे लिए टाइम ही मनी है। वैसे आजकल सब डिजिटल है। अगर बाजार से मेडिसिन लानी भी होती है तो प्रिस्क्रिप्शन की फोटो खींच लेते हैं। बिल की फोटो ले लेते हैं तो मिसप्लेस होने का डर नहीं रहता।
स्मार्ट फोन है हथियार: मुझे जो भी काम जिस दिन भी, जिस समय भी करना होता है तो तुरंत फोन पर रिमाइंडर लगा लेती हूं। जिससे चूक नहीं होती। घर का जो भी सामान खत्म हो जाता है या जो काम पेंडिंग हो जाते हैं उनकी लिस्ट फोन पर नोट्स में बनाती जाती हूं। जब मार्केट जाती हूं तो लिस्ट साथ ही होती है और आसानी से सारा काम हो जाता है। अपने हर काम को बेहतर प्लानिंग और स्मार्ट तरीके से अंजाम देती हैं वंदना। उनके हाथ का स्मार्ट फोन उनके स्मार्ट होम मैनेजमेंट का हथियार है। वंदना कहती हैं, प्लानिंग जरूरी है और जब हम वर्किंग हैं, कई-कई घंटें काम पर रहते हैं तो एक्यूरेट प्लानिंग ही हमें सक्सेसफुल बना सकती है। आजकल कुछ भी मैनेज करने में कोई डिपेंडेंसी नहीं है। ग्रॉसरी मंगवानी है तो एप है। हमारी जेनेरेशन यही करती है। अगर आपको शहर में कहीं जाना है तो किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं। मिनटों में कैब बुक होती है और पिक करने आ जाती है। रीजनेबल भी होती है।
12 मार्च 2016 प्लानिंग वीकएंड की वीकएंड का स्मार्ट प्लान बनाती हैं न्यूएज गल्र्स। इनका मानना है कि घर और ऑफिस में बैलेंस बनाने के लिए फ्रेश रहना बहुत जरूरी है ताकि ऑफिस में भी बेस्ट दे सकें और घर में भी टाइम दे सकें। घर और दफ्तर मैनेज करने के लिए वे प्लांिनंग पर बराबर ध्यान देती हैं। जिसमें उनकी पर्सनल केयर की जरूरतें भी शामिल होती हैं। फ्राइडे को होम मूवी एंजॉय कर फैमिली के बीच समय बिताने का पूरा मजा लेना भी जानती हैं वे।
मददगार है वर्क फ्रॉम होम: आजकल कई कंपनियों में वर्क फ्रॉम होम का कॉन्सेप्ट कारगर है और यह महिलाओं के स्मार्ट होम मैनेजमेंट में मददगार साबित हो रहा है। सीनियर सिस्टम इंजीनियर पूजा ट्रैवल करके आईं तो वर्क फ्रॉम होम ले लिया। ऑफिस जाने का टाइम बच गया। मैनेज हो गया। प्रियंका के घर में मकर संक्राति की पूजा थी। जितना घर में रहना जरूरी था, उतना ही ऑफिस में भी तो उन्होंने वर्क फ्रॉम होम ले लिया। सभी कुछ मैनेज हो गया। सिक्स ऑवर्स ऑफिस को दिए और दो घंटे में पूजा की। कैमरे घर पर एक्सेस सेट पर रिशिना कंधारी, अभिनेत्री हमने घर में कैमरे लगाए हैं जिन्हें मैं अपने आईपैड या फोन से एक्सेस कर लेती हूं।
इनसे मुझे घर की हर गतिविधि का पता रहता है। यहां तक कि मेरे पार्किंग स्पेस पर क्या हो रहा है उसे भी मैं ऑनलाइन चेक कर लेती हूं। मैं कहीं भी रहती हूं अपने घर से कनेक्ट रहती हूं। मेरी नजर बनी रहती है घर पर और मैं काम मैनेज करती रहती हूं। काम के समय भी मुझे पता रहता है कि घर पर क्या हो रहा है। बच्ची की सुरक्षा मेरे लिए महत्वपूर्ण है और इसके लिए मुझे स्मार्ट रहना ही होता है। मेरे घर के कैमरे मेरे लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। इस टेक्नोलॉजी से मैं निश्चिंत रहती हूं। फूड और शॉपिंग तो ऑनलाइन हो ही जाती है। मुझे पढने के लिए किताबें चाहिए होती हैं। उनका ऑर्डर मेरे सेट पर ही आ जाता हैं। आजकल उड़ान के लिए शूट कर रही हूं। वहां बहुत सारे बच्चे हैं जिनके लिए कुछ भी मंगाना होता है तो ऑनलाइन ही मंगा लेती हूं। नए गैजेट्स, जैसे एयर फ्रायर और डायमंड कोटेड तवा मुझे हेल्दी फूड बनाने में मदद करते हैं। किचन में मेरे लिए ब्लेंडर काफी हेल्पफुल होता है। वैसे मैं सुबह 5.30 ही उठ जाती हूं। मेरे पति मेरे हाथ का बना खाना ही खाते हैं इसलिए मैं सुबह ही खाना बनाती हूं। मेरी बेटी थर्ड स्टैंडर्ड में पढ़ती है। वह सुबह 7.30 बजे स्कूल जाती है। उसके बाद मैं एक घंटे जिम जाती हूं। फिर शूट पर जाती हूं। 12 घंटे की शिफ्ट होती है हमारी। सेट से आने के बाद बेटी केसाथ समय बिताती हूं। उसे सुलाती हूं। बेटी के स्कूल जाना भी मैनेज करती हूं। टाइम के बेहतर और स्मार्ट मैनेजमेंट के कारण ही इतना कर पाती हूं।